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Success Story : बचपन में बहरेपन का शिकार, आगे चलकर बन गया IAS अफसर

 
Success Story : बचपन में बहरेपन का शिकार, आगे चलकर बन गया IAS अफसर
Dainik Haryana News : IAS Success Story : आपने बहुत से आईएएस की सफलता की कहानियाँ सुनी होगी । लेकिन आज हम आपके लिए इन सब से कुछ अलग कहानी लेकर आऐ हैं । हम एसे IAS अधिकारी की बात कर रहे हैं । जिसे कम सुनाई देता था ।     जिसकी वजह से बीडीयो(BDO) ने चपरासी की नौकरी देने से भी मना कर दिया था। हम बात कर रहे हैं । राजस्थान के अलवर जिले में बंदनगढ़ी के रहने वाले मनीराम शर्मा की । जिनके पिता जी मजदूरी का काम किया करते थे । माता देख नही सकती थी । खुद मनीराम को कम सुनाई देता था ।   Read Also: Cricket Update : एक बार फिर क्रिकेट हुआ शर्म सार, मैच फिक्सिंग में पकड़ा गया ये गेंदबाज!   इस बीच शुरू होता है, उनके कठिनाइयों का दोर, मनीराम पढ़ने के लिए हर रोज 5 km पैदल जाया करते थे । मनीराम ने 10 वीं में पांचवां और 12वीं में सातवां स्थान प्राप्त किया । 10वीं करने के बाद उनके पिता मनीराम के लिए चपरासी की नौकरी मांगने के लिए बीडियो से मिले। बीडियो ने यह कहकर नौकरी देने से मना कर दिया कि इसे तो घंटी तक भी सुनाई नही देगी। यह चपरासी कैसे बन सकता है ।       लेकिन मनीराम की किस्मत में तो कुछ और था । जब दोनों बाप बेटा उदास होकर घर लोट रहे थे । मनीराम अपने पिता से कहता है । की पिता जी आप चिंता मत कीजिये में एक दिन आपको बड़ा अफसर बनकर दिखाऊँगा । 12 वीं करने के बाद मनीराम ने अलवर के कालेज में दाखिला लिया ।और साथ में बच्चों को टयूशन पढ़ाने लगे। मनीराम ने पीएचडी करने के लिए स्कालरशिप भी हासिल कर ली थी ।   Read Also: FD Rates : ग्राहकों की हुई मौज, इस बैंक ने बढ़ाई FD पर ब्याज की दरें   साथ में राज्य में कलरक की परीक्षा को पास कर लिया था । 2005 में मनीराम ने UPSC की परीक्षा को पास किया । लेकिन उनके कम सुनाई देने की वजह से जगह नही मिली। 2006 में फिर से मनीराम ने परीक्षा को पास कर लिया । लेकिन इस बार मनीराम को पोस्ट एंड टेलीग्राफ अकाउंट्स की नौकरी मिल गई ।       तब मनीराम को एक डाक्टर ने बताया की उनका कान ठीक हो सकता है । आपरेशन के लिए 7 लाख लगेंगे । मनीराम ने जैसे तैसे पैसों का जुगाड़ कर लिया । आपरेशन सफल रहा और मनीराम पुरी तरह से ठीक हो गऐ। बस फिर क्या था । साल 2009 में फिर से UPSC की परीक्षा को पास कर लिया और बन गऐ IAS.