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World Wetland Day 2023 : जानिए वर्ल्ड वेटलैंड डे का इतिहास और महत्व?

 
World Wetland Day 2023 : जानिए वर्ल्ड वेटलैंड डे का इतिहास और महत्व?
Dainik Haryana News :World Wetland Day 2023  Importance : जैसा की आप जानते हैं आज 2 फरवरी है और आज के दिन विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहली बार ये दिवस 1997 में मनाया गया था।       वेटलैंड में जंत और पेड़ पौधों का एक तंत्र है, जहां पर उपयोग में आने वाली वन्स्पतियों और औषधीय काफी मात्रा में पाई जाती हैं। आपको बता दें कि इसमें पानी को प्रदुषण मुक्त बनाने का काम किया जाता है ताकि आने वाले सयम में लोगों को पानी से होने वाल बीमारी और पानी की कमी ना हो। इसमें आवश्यक चीजों को पूरा योगदान होता है।     जानें आद्रभूमि दिवस के बारे में :   Read Also: Box Office Collection : ‘पठान’ उड़ा रही गर्दा, 8 दिन मे किया इतना कलेक्शन   आपको जानकारी दे दें कि हर साल 2 फरवरी के दिन आद्रभूमि दिवस को मनाया जाात है। वर्ल्ड वेटलैंड डे जहां जमीन का वह हिस्सा जहां पर पानी और जमीन आपस में मिलते हैं। आद्रभूमि झील, तलाब, नदी आदि का वह हिस्सा है जहां पर साल के सारे दिनों में पानी ही भरा रहता है और वह जमीन जो हर समय गीली ही रहती है। आपकी जानकारी कि लिए बता दें कि ये दिन आद्रभूमि की रक्षा करने के लिए और उन क्षैत्रों पर प्रकाश डालने के लिए मनाया जाता है जो विलुप्त हो रहे हैं।     क्या है वर्ल्ड वेटलैंड डे का इतिहास :(World Wetland Day)       जैसा की आप जानते हैं हमारी नदी, नाली, तलाब, और झीलों की स्थीति खराब होती जा रही है को देखते हुए 2 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर में इस दिन का कन्वेंशन किया गया था। और इस दिन को पूरी ही दुनिया में आद्रभूमि दिवस के नाम से मनाया जाने लगा है। 1975 में इस कन्वेंशन को लागू कर दिया गया और 2 फरवरी के 1997 के दिन इसे मनाया जाने लगा। लेकिन, भारत में 1 फरवरी 1982 में इस पर हस्ताक्षर कर दिए गए थे।   Read Also: Gold Price Hike : सोने-चांदी के रेट सातवें आसमान पर, जानें आज के ताजा रेट जानें क्या है रामसर कन्वेंशन?(Ramsar Convention)       रामसर कन्वेंशन ऐसे स्थल हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त है और इन्हें यूनेस्को की रामसर कन्वेंशन के तहत लिस्ट किया जा चुका है। साल 2021 में भारत की 4 और आद्रभूमियों को रामसर स्थल में शामिल किया गया था। रामसर की पहली स्थल की बात की जाए तो ओडिशा की चिल्का झाील भारत की पहली रामसर स्थल है। हाल ही में 2400 से अधिक स्थलों को रामसर स्थल के रूप में मान्यता मिल चुकी है।     जानें इसका महत्व :       आद्रभूमि दिवस प्राकृतिक संतुलन( natural balance) को ठीक बनाए रखने में एक सफल भूमिका निभाता है। यहंं पर कई जलीय जीव जंतु रहते हैं। और यहां पर प्रवासी पक्षी भी आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर ये स्थल लुप्त हो जाते हैं तो हमारी प्राकृति को काफी मात्रा में नुकसान हो सकता है और हम बीमार हो सकते हैं और हमारे जीव जंतु भी मर सकते हैं।