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Aditya L-1 Live: आदित्य एल-1 तेजी से बढ़ा सूर्य की और पृथ्वी के अंतिम कक्ष में लगा रहा चक्कर

 
India Solar Mission: भारत का मिशन आदित्य एल-1 अब सूर्य की और जाने को है तैयार, पृथ्वी का लगा रहा चौथा चक्कर । इसके बाद शुरू होगा आदित्य एल-1 का अगला चरण। जानें आदित्य एल-1 से जुड़ी ताजा जानकारी। Dainik Haryana News: ISRO Mission Aditya L-1(ब्यूरो): अब तक आदित्य एल अच्छे से काम कर रहा है और चार बार सफलतापूर्वक इसकी कक्षा को बदला जा चुका है। आदित्य एल-1 धीरे-धीरे अपने लक्ष्य के करीब जा रहा है। पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ऐसे बिंदु हैं जहां अगर कोई चीज पहुंचती है तो वहीं रह जाती है। इन बिंदुओं पर ना पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का कोई असर है और ना ही सूर्य का। इनमें से पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर एल-1 प्वाइंट है, इस प्वाइंट पर आदित्य आदित्य एल-1 को स्थित किया जाएगा। यह प्वाइंट सूर्य से 14 करोड़ 85 लाख किलोमीटर दूर है। इससे आगे जाने पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल अपनी और खींचने लगेगा। Read Also: Haryana Govt. Scheme : हरियाणा सरकार इतनी आय वाले परिवारों को दे रही 71 हजार रूपये, क्या लिस्ट में आया आपका नाम आदित्य एल-1 पृथ्वी के चारों और चौथा चक्कर लगा रहा है। इसके बाद पृथ्वी के कक्ष को छोड़ सूर्य की और आगे बढ़ेगा। आदित्य एल-1 को 15 लाख किलोमीटर का सफर 125 दिनों में तय करना है। सफर बहुत लंबा है। अब तक जीतने भी मिशन सूर्य की और भेजे हैं इनमें 90% सफलता मिली है। 2 ही बार ऐसा हुआ है कि सूर्य मिशन विफल हुआ हो। पृथ्वी से सूर्य तक 5 लांगरेंज,, प्वाइंट हैं जहा सुर्ययानों को स्थित किया जाता है। भारत का ये पहला सोलर मिशन है। इससे पहले कई देश अपने सोलर मिशन लांगरेंज,, प्वाइंट पर स्थित है। सबसे ज्यादा बार NASA ने मिशन भेजा है। 25 के करीब सोलर मिशन भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 14 तो अकेला NASA ही भेज चुका है। इन सभी मिशन में से 2 को ही असफलता मिली है, बाकी सब सफल रहे हैं। आदित्य एल-1 का सफर अभी बहुत लंबा है, लेकिन जिस हिसाब से अपना कार्य कर रहा है, अभी तक कुछ भी ऐसा नहीं लगा कि कोई दिक्कत आई हो। आदित्य एल-1 सूर्य के बाहय आवरण की जानकारी इसरो के पास भेजेगा। Read Also: Almonds Eating Manner: बादमा को इस तरीके से खाना माना जात है सबसे खतरनाक सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों के बारे में पता लगाएगा जो धरती पर हानिकारक हैं। सूर्य के ताप और उससे जो तरंगे निकलती हैं उनके बारे में आदित्य एल-1 जानकारी इकट्ठा करेगा। इसरो का कहना है कि आदित्य एल-1 को 5 साल के लिए बनाया गया है, अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आदित्य एल-1 अगले 10 सालों तक भी काम करता रहेगा। अपने चौथे चक्कर के बाद आदित्य एल-1 वहां पहुंच जाएगा जहां पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल नाम मात्र ही रह जाता है। यां आसान भाषा में कहें तो इसे पृथ्वी का एग्जिट प्वाइंट भी कहा जाता है।