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Chandrayaan 3: जहां उतरने की हिम्मत आज तक कोई नहीं कर पाया, चंद्रयान 3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर रचे गा इतिहास

 
Mission Chandrayaan 3: साल 2019 में चंद्रयान 2 भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए निकला था, अंतिम क्षणों मे तकनीकी खराबी की वजह से लैंडिंग के समय क्रैस हो गया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना ही सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए आज तक वहां कोई भी नहीं पहुंच पाया। लेकिन भारत का चंद्रयान 3 चार साल बाद एक बार फिर से चला है चांद के दक्षिणी ध्रुव के रहस्यों को उजागर करने। चंद्रयान 3 चांद के साऊथ पोल पर लैंडिंग कर पुरे विश्व के सामने उदाहरण पेस करेगा। भारत चांद पर अपना स्पेस उतारने वाला चौथा और साऊथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। Dainik Haryana News: Chandrayaan 3 Latest Update(ब्यूरो): दक्षिण ध्रुव पर भारत का पड़ोसी बनेगा रूस। रूस का लूना-25 कल लांच करते ही तेजी से चांद की और निकल पड़ा। दोनों देशों के यानों के बीच की दूरी 118 किलोमीटर रहने वाली है। चांद का दक्षिण ध्रुव बेहद ही खतरनाक है। जहां आज तक NASA भी नहीं पहुंच पाया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं जिनकी वजह से सूर्य की किरणें कभी-कभी इनकी सतह तक पहुंच पाती है। Read Also: Haryana : अंबाला वासियों को मोदी सरकार ने दी दो खुशखबरी, जानें सरकार का फैसला यहां की सतह का रंग लाल है ऐसा लग रहा है मानो अंदर ही अंदर लावा उबल रहा हो और बाहर निकले का रास्ता नहीं मिल रहा हो। इसका सबसे बड़ा कराण है दक्षिण ध्रुव की सतह का मोटा होना। बताया जाता है जब चांद की उत्पत्ति हुई थी तो 2 चांद थे। धीरे-धीरे दोनों नजदीक आते गए और आपस में चिपक गए। एक बना उतरी ध्रुव एक बना दक्षिणी ध्रुव जिसके वजह से इसकी सतह मोटी है। मोटी सतह लावा को बाहर नहीं आने दे रही। दक्षिणी ध्रुव के फर्श के लाल होने का कारण यही बताया जाता है। भारत का चंद्रयान 3 इतिहास रचने की कगार पर है। 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कर भारत की शान में चार चांद लगा देगा। Read Also: PPF में पैसा लगाते समय कभी ना करें ये गलती, वरना नहीं मिलेगा एक भी पैसा! आखिर के 10 मिनट चंद्रयान 3 के लिए बेहद ही खास और मुश्किल रहने वाले हैं। जल्द ही वो समय आने वाला है जब ISRO दुनिया को अपनी ताकत दिखाएगा। जहां उतरने की हिम्मत आज तक कोई नहीं कर पाया, चंद्रयान 3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर रचे गा इतिहास