Mission Moon : 50 साल बाद इस देश ने लॉन्च किया चंद्रमा मिशन, 24 घंटे बाद सामने आई ये सूचना
America's First Moon lander : भारत ने तो अपना मिशन मून और सन पूरा कर लिया है। अभी दो दिन पहले ही आदित्य एल-1 सूरज के हेलो आर्बिट में जाकर स्थापित हो गया है जो अगले पांच सालों तक सूरज का गहन करेगा। इसी के चलते एक और देश ने 50 साल बाद अपना चंद्रमा मिशन को लॉन्च किया है। आइए खबर में जानते हैं कहां तक पहुंचा यान।
Dainik Haryana News,America's First Moon lander Update(ब्यूरो): 50 साल बाद यह अमेरिका का पहला चंद्रमा लैंडर है जो सोमवार की सुबह को ही लॉन्च हुआ है। लेकिन खबर मिल रही है कि 24 घंटे के अंदर ही इसमें कुछ खराबी देखने को मिली है और मिशन खतरे में बताया जा रहा है। एस्ट्रोबोटिक ने घोषणा की है कि मिशन खतरे में है। बताया जा रहा है कि शायद फ्यूल टैंक में कुछ खराबी आई है। इस खराबी के बाद यान की बैटरी को चार्ज करने के लिए सूरज की दिशा में नहीं किया जा सकता है।
फिलहाल यह चंद्रमा की सतह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है और अमेरिका की स्पेस कंपनी का कहना है कि 23 फरवरी को इसे चांद पर उतारा जाएगा। रूस ने भी 50 साल बाद लूना-25 को लॉन्च किया था लेकिन कामयाबी नहीं मिली। क्या हुई गड़बड़
एस्ट्रोबोटिक के अनुसार पेरेग्रीन की पहली तस्वीर में मल्टी लेयर इंसुलेशन कथित तौर पर गड़बड़ दिख रहा था। उनके मुताबिक प्रोपेलेंट में खराबी इसी वजह से हो सकती है।
कंपनी ने बताया कि पहले कम्युनिकेशन ब्लैकआउट से गुजरने के बाद अब अंतरिक्ष यान की बैट्री पूरी तरह चार्ज हो गई है। कंपनी का कहना है कि जितना संभव हो सके उतना पेरेग्रीन की मौजूद शक्ति को इस्तेमाल किया जा रहा है। पेरेग्रीन के सोलर पैनल को सूरज की किरणों से चार्ज करने के लिए वेज्ञानिकों ने दूसरा तरीका अपनाया है।
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नासा ने किया ट्वीट(NASA tweeted) :
नासा की तरफ से ट्वीट किया गया है कि कंपनी ने पांच वैज्ञानिक उपकरणों के लिए 108 मिलियन डॉलर का भुगतान किया है। कंपनी का कहना है कि अंतरिक्ष मुश्किल है, हम प्रोपलेंट में समस्या के मूल कारण की पहचान करते उसका समाधान करेंगे। र्इंधन रिसाव की वजह से पेरेग्रीन लैंडर के एटीट्यूट कंट्रोल सिस्टम के थ्रेस्टर्स को अच्छे तरीके से निर्धारित करने पड़ेगा। थ्रस्टर्स सिर्फ 40 घंटे चल सकते हैं।