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Farming Tips : इस फसल की खेती से किसान हो रहे मालामाल, हो रही लाखों रूपये की कमाई

 
Business Tips : पहले किसान पारंपरिक खेती करते थे जिससे ज्यादा कमाई नहीं होती थी। लेकिन अब किसान नई तकनीक और नई खेती कर रहे हैं जिससे कमाई भी ज्यादा हो रही है। आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने किसानों को करोड़पति बना दिया है। आइए खबर में जानते हैं इस खेती के बारे में। Dainik Haryana News,Flowers Farming Tips(चंडीगढ़): आज किसान ऐसी खेती कर रहे हैं जिसके करने में लागत कम और कमाई ज्यादा होती है। ऐसे में सरकार भी किसानों को ऐसी खेती के लिए मदद कर रही है जिससे मुनाफा कमाया जा सकता है। सरकार किसानों को सुगंधित फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार की और से एक मिशन शुरू किया गया है जिसका नाम एरोमा मिशन है जिसके तहत किसानों को लेमन ग्रास, मिंट, खस, अश्वगंधा आदि फसलों की खेती के लिए ट्रेनिंग देती है। इन फसलों की खेती से काफी ज्यादा मुनाफा होता है और इन फसलों से काफी सारे प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं। READ ALSO :Business News : कुछ ही पैसों से शुरू किया बिजनेस, आज है 17 हजार करोड़ का बिजनेस

लेमनग्रास की खेती(Lemongrass Cultivation):

इस पौधे का इस्तेमाल सबसे ज्यादा साबुन, निरमा, तेल, परफ्यूम, मच्छर लोशन, सिर दर्द की दवा और कॉस्मेटिक आदि प्रोटक्ट्स तैयार किए जाते हैं। सबसे अच्छी बात तो ये है कि इस पौधे की खेती आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं।

जिरेनियम की खेती(Geranium cultivation) :

जिरेनियम का पौधा भी काफी सुगधं वाला पौधा होता है जिसका इस्तेमाल बहुत सी औषधीयों को बनाने के लिए किया जाता है। पहले इस पौधे की खेती विदेशों में की जाती थी लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती की जाती है और किसान इससे मुनाफा कमा रहे हैं।

मेंथा की खेती (Cultivation of Mentha):

मेंथा की खेती से भी किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है। इसका इस्तेमाल दवाइयों और ब्यूटी प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए किया जाता है।

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खस की खेती(Cultivation of poppy) :

इसकी खेती गुजरात, तमिलनाडु, यूपी, कर्नाटक, बिहार आदि राज्यों में इसकी खेती की जाती है। इससे महंगे इत्र, दवाइयां और भी बहुत से प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं। इसके अलावा अश्वगंधा की खेती से भी किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है और इस पौधे से बहुत सी औषधीयां बनाई जाती हैं। सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान की तरफ से किसानों को सुगंधित फुलों की खेती करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।