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Father property : पिता बेटे से बिना पूछे संपत्ति बेच सकता है या नहीं, क्या कहता कानून
 

Property Knowledge:आप का देखा होगा की हर जगह देखा होगा कि पिता बेटे से बिना पूछे संपत्ति  को बेच देता हैं लेकिन इस कोर्ट एक  एक फैसला सुनाया हैं। आइए जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में।
 
 

Dainik Haryana News,Property Rule (New Delhi): पिता की संपत्ति को लेकर कोर्ट ने एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। कहा है कि पिता बेटे से बिना पूछे संपत्ति को बेच सकता है चाहें  उस संपत्ति में बेटे का हिस्सा क्यों न हो। कोर्ट ने वे  परिस्थितियों में कोई भी उसे चुनौती नहीं बन सकता हैं।

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54 साल से पहले जो याचिका(Property In India) दर्ज कवाई थी वह अब कोर्ट ने रद कर दी हैं। याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट  (Supreme Court) ने कहा कि परिवारिक कर्ज चुकाने या कानूनी जरूरतों के लिए यदि परिवार का मुखिया पैतृक संपत्ति (ancestral property) बेचता है तो पुत्र या कोई भी और हिस्सेदार उसे कोर्ट में चुनौति नहीं दे सकता हैं। इस मामले में पुत्र ने 1964 में अपने पिता के खिलाप याचिका लगाई थी। मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने तक पिता और पुत्र दोनों इस दुनिया में नहीं रहे। दोनों के उत्तराधिकारियों ने इस मामले को जारी रखा।

कानून में है प्रावधान(There is a provision in the law)


 जस्टिस एएम सप्रे और एसके कौल की पीठ ने कहा कि हिंदू कानून के अनुच्छेद 254 में पिता द्वारा संपत्ति बेचने के बारे में प्रावधान हैं।
अनुच्छेद 254(2)में प्रावधान है कि कर्ता चल अचल पैतृक संपत्ति  को बेच सकता है। वह पुत्र और पोत्र के हिस्से को कर्ज चुकाने के लिए बेच सकता है लेकिन यह कर्ज पैतृक होना चाहिए। कर्ज किसी अनैतिक और अवैध कार्य के जरिए पैदा न हुआ हो।


कब-कब बेची जा सकती है पैतृक संपत्ति(When can ancestral property be sold?)


- पैतृक कर्ज चुकाने के लिए बेची जा सकती है।


- संपत्ति पर सरकारी देनदारी होने पर बेची जा सकती हैं।

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- परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए बेची जा सकती है।- पुत्र, पुत्रियों के विवाह, परिवार के समारोह या अंतिम संस्कार के लिए बेची जा सकती है।

- संपत्ति पर चल रहे मुकदमे के खर्च के लिए बेची जा सकती हैं।


संयुक्त परिवार के मुखिया के खिलाप गंभीर आपराधिक मुकदम में उसके बचाव के लिए बेची जा सकती हैं।