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Home Built : ऐसा घर जो बना है बिना सीमेंट और ईंटों के

 
Home News : एक बड़ी खबर यह आ रही है। कि डूंगरपुर में एक घर है जो आजकल बहुत सुर्खियों में है जिसका निर्माण आशीष पांडे व उसकी पत्नी मधुलिका ने किया है। जिससे ना सीमेंट का प्रयोग ना इंटों का, गर्मियों में ना ऐसी की जरूरत होती है। Dainik Haryana News,Viral News(नई दिल्ली): डूंगरपुर हर कोई चाहता है कि उसका घर बहुत सुन्दर व सानदार हो। इसके लिए वह दिन रात बहुत मेहनत करता है। इसी मेहनत को देखते हुए डूंगरपुर में एक परिवार ने बहुत ही अच्छी पहल की है पर्यावरण को संतुलन को ध्यान में रख कर बनाया गया है। प्रयोग किया गया है। जन जातीय जीवन में इस से पहले शायद ही देखने को मिला होगा। READ ALSO :Book Store : जानिए ऐसे बुक स्टोर के बारे में जो पूरी दुनिया में हैं प्रसिद्ध डूंगरपुर शहर में रहने वाले इंजीनियर आशीष पांडे व उसकी पत्नी मधुलिका ने यह खास घर अपने लिए बनाया है। आशीष की पत्नी मधुलिका साफ्टवेयर डेवलपर है। साथ साथ वह समाज सेवा का भी कार्य करती है। उनके घर की नींव से लेकर छत तक सब कुछ प्रकृति के अनुकूल बनाया गया है। आशीष पांडे उड़ीसा से सम्बन्ध रखने वाले ने बताया है कि जब तक उन्होंने स्कूल की पढ़ाई कि तब तक वह तो वह मद्रास में रहा है। इसके बाद उन्होंने बिट्स पिलानी में सिविल इंजीनियर की बधाई पूरी की और देश के अलग-अलग हिस्सों में काम किया। आशीष पांडे की पत्नी मधुलिका ने भी बिट्स पिलानी में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद वह मास्टर की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई और वहां पर उन्होंने काम भी किया। मधुलिका का इस बारे में कहना है कि वह दोनों बिट्स पिलानी सिविल इंजीनियर की पढ़ाई पुरी की थी तभी तय कर लिया था कि हम वापस राजस्थान लौट कर आएंगे आशीष का शुरू से ही प्राकृतिक की तरफ झुकाव था और मेरा सामाजिक विषयों की तरफ। उसके बाद कई सालों तक कई देशों में रहने के बाद राजस्थान लौटने का फैसला किया। आशीष पांडे के अनुसार उन्होंने तय किया कि हम किसी बड़े मेट्रो शहर में नहीं रहेंगे बल्कि किसी छोटे गांव में रहेंगे। इसीलिए उन्होंने अलग-अलग कई गांव में रहकर देखा। वहीं आशीष पांडे की पत्नी का बताया है कि 2010 में डूंगरपुर गांव में उनकी बेटी का जन्म हुआ और उन्होंने वहीं रहने का फैसला किया। READ MORE :Funny Jokes: हंसते रहो मुस्कुराते रहों आशीष पांडे और उसकी पत्नी मधुलिका ने बताया है कि घर का निर्माण करते समय उन्होंने सब कुछ प्राकृतिक के अनुसार प्रयोग किया है ताकि उनका घर गर्मियों में भी ठंडा रह सकें। और गर्मियों में भी ऐसी और पंखों की जरूरत ना पड़े। उन्होंने छत में सोने का प्रयोग किया है दीवारों में पत्थरों का प्रयोग किया है। इसी तरह से घर की सीढ़ियां और छज्जों के निर्माण के लिए पत्तियों का प्रयोग किया गया है आशीष पांडे और उसकी पत्नी मधुलिका ने बताया है कि राजस्थान में पुराने सभी घरों में पत्थरों तथा छूने का प्रयोग किया गया है। और इसके बाद भी इमारतें सही सलामत खड़े हैं इसीलिए हम करते से जुड़ी चीजों का प्रयोग कर सकते हैं।