{"vars":{"id": "112803:4780"}}

Matchbox History : जानें भारत में पहली बार कब आई माचिस, कौन था वो व्यक्ति जिसने पहली बार माचिस से जलाई आग?

 
Matchbox History In India : माचिस का इस्तेमाल हर कोई करता है कोई आग जलाने के लिए तो कोई धूम्रपान करने के लिए। लेकिन क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया है कि आखिर से माचिस देश में पहली बार कौन लेकर आया और इसे कहां से लेकर आया व कैसे इसके साथ पहली बार आग जलाई गई थी। अगर ऐसा आप भी सोचते हैं तो अपने सवालों का जवाब जानने के लिए हमारे साथ जरूर बने रहें। Dainik Haryana News,Matchbox Latest Price(नई दिल्ली): कभी पहले जमाने की बात थी जब माचिस की कीमत महज ही 5 पैसे थी लेकिन साल 2007 में इसके दामों में तेजी आई और यह दो रूपये की हो गई। क्या आप जानते हैं कि जब माचिस को लाया गया था तो इसकी कीमत तहज ही 5 पैसे थी, उसके बाद साल 1994 में इसकी कीमतों में बढ़ोतरी की गई और दामों को 50 पैसे कर दिया गया, अब दो या एक रूपये में माचिस आने लगी है। आज हम आपको माचिस से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे। READ ALSO :December Rashifal : साल के अंत में इन राशि वालो की लगेगी लोटरी 1.दुनिया में सबसे पहले ब्रिटेन में 31 दिसंबर 1827 को माचिस का आविष्कार हुआ था. आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक जॉन वॉकर ने एक ऐसी माचिस की तीली बनाई थी, भारत में सबसे पहले स्वीडन की एक मैच मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने माचिस बनाने की कंपनी खोली थी. 2. सन 1950 में माचिस की डिब्बी की कीमत 5 पैसे थी, 1994 में बढ़कर 50 पैसे हुई, 2007 में बढ़कर माचिस की कीमत एक रूपये से लेकर दो रूपये हो गई। 3. भारत में माचिस के निर्माण की शुरुआत साल 1895 से हुई थी. इसकी पहली फैक्ट्री अहमदाबाद में और फिर कोलकाता में खुली थी. भारत में सबसे पहले स्वीडन की एक मै की एक मैच मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने माचिस बनाने की कंपनी खोली थी. 4. माचिस को बनाने के लिए 14 कच्चे माल की आवश्यकता होती है, एक माचिस में 50 तिल्लियां आती हैं, 600 माचिसों का एक बंढल होता है। माचिस को बनाने के लिए लाल फास्फोरस, मोम, कागज, स्प्लिंट्स, पोटेशियम क्लोरेट और सल्फर का मुख्य रूप से इस्तेमाल होता है. इसके अलावा माचिस की डिब्बी दो तरह के बोर्ड से बनते है, जिसमें बाहरी और भीतरी बोर्ड होते हैं। READ MORE :Amrit Bharat Train : अमृत भारत ट्रेन को इस दिन हरी झंडी दिखाएं पीएम मोदी, जानें कौन से होंगे रूट 5. तमिलनाडु में सबसे बड़ा माचिल उद्योग है जहां पर 4 लाख कर्मचार काम करते हैं और खुशी की बात तो ये है कि वहां पर 95 प्रतिशत के करीब महिलाएं कर्मचारी हैं। कुछ फैक्ट्रियों में हाथों से माचिसों का निर्माण किया जाता है तो कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं जहां पर मशीनों द्वारा माचिसों को बनाया जाता है। तमिलानाडु के शिवकाशी, विरुधुनगर, गुडियाथम और तिरुनेलवेली मैन्युफैक्चरिंग सेंटर हैं. भारत में फिलहाल माचिस की कई कंपनिया हैं। 6.माचिस की तीली पर फॉस्फोरस का मसाला लगाया जाता है. फॉस्फोरस अत्यंत ही ज्वलनशील रासायनिक तत्व है. तमिलनाडु में सबसे पहले माचिस की फैक्ट्री 1922 में शिवकाशी शहर में लगाया गया था। पहले के समय में सफेद फॉस्फोरस का इस्तेमाल होता था। लेकिन इसमें से निकलने वाला धुआं काफी जहरीला होता था, जिसकी वजह से इस पर बैन लगा दिया गया।