Prperty rights:बहू, बेटी और मां, जानें प्रोपर्टी में कितना किसका होता हैं अधिकार
Dainik Haryana News,Prperty Rule (New Delhi): भारत में प्रोपर्टी को लेकर कई प्रकार के कानून हैं लेकिन कई बार जानकारी ना होने के कारण से हमें अपने अधिकार नहीं पता हैं। उत्तराधिकार में कानून बहुत ही स्पष्ट हैं। 2005 में हिंदू उत्तराधिकारी कानूनों में संशोधन हुआ था।
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जिसमें पहली बार बेटियों को भी(Prperty Rule Of Indai)पैतृक संपत्ति में अधिकार दिया गया था। लेकिन ये अधिकार उन्हीं को मिला था, जिनके पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद हुई हो। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें तारीख और वर्ष वाली शर्त खत्म कर दी थी। आज हम आप महिलाओं के बेटी, बहन और मां के रूप संपत्ति में क्या अधिकार हैं उसके बारे में आज बता रहे हैं।
बेटी का संपत्ति पर अधिकार(daughter's right to property)
संपत्ति के बंटवारे को लेकर भारत में कानून बनाए गए हैं। इसके अनुसार, पिता की संपत्ति में केवल बेटे का ही नहीं बल्कि बेटी का भी बराबर का हक होता है। पिता की संपत्ति पर महिला क्लेम कर सकती है। हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है। हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है।
बहन का संपत्ति पर अधिकार-(Sister's right on property-)
पैतृक संपत्ति में बहन का भी उतना ही अधिकारी है, जितना भाई का। साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार में संशोधन करके यह अधिकार दिया गया था। साथ ही में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2020 में एक फैसले जिसने इस संबंध में किसी भी प्रकार की आशंका एवं संशय को समाप्त कर दिया और पैतृक संपत्ति के मामले में भाई-बहन को बराबरी का फैसला दिया।
मां का संपत्ति पर अधिकार-(Mother's right on property-)
बेटे की संपत्ति पर अधिकार को लेकर हिंदू उत्तराधिकार 1956 में व्यवस्था है। इसमें लड़के के विवाहित और अविवाहित रहते मृत्यु होने के बाद में अलग-अलग तरीके से संपत्ति का बंटवारा होता है। एक मां अपने बेटे के मृत बेटे की संपत्ति में उतना ही हिस्सा होता हैं। जितना उसकी पत्नी और बच्चों को मिलता है। इसके साथ ही अगर पति की संपत्ति को बांटा जाता है तो उसकी बीवी को भी अपने बच्चों के समान ही उस संपत्ति में अधिकार मिलता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, बच्चे की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकार को परिभाषित करती है।
बहू का सास-ससुर की संपत्ति पर अधिकार(Daughter-in-law's rights on the property of mother-in-law and father-in-law:)
सास-ससुर की संपत्ति पर भी सामान्य परिस्थितियों में महिला का कोई अधिकार नहीं होता है। ना ही उनके जीवित रहते और ना ही उनके देहांत के बाद महिला उनकी संपत्ति पर कोई भी क्लेम नहीं कर सकती हैं।
सास-ससुर की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति में अधिकार महिला का ना होकर पति को मिलता हैं। लेकिन पहले पति उसके बाद में सास-ससुर के देहांत की परस्थिति में संपत्ति पर महिला को अधिकार मिल जाता हैं।