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RBI : पहली बार इतने ज्यादा लोन क्यों ले रहे ये लोग, गवर्नर शक्तिकांत दास को क्यों हुइ चिंता

 
RBI News : बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता है। हाल ही में एक सूचना सामने आई है जिसमें लोग एक खास तरह के लोन को ज्यादा ले रहे हैं। इसे लोन की तरफ इतना रूख देखकर गवर्नर ने भी चिंता व्यक्त करी है। आइए खबर में हम आपको बताते हैं कि किस तरह के लोन ले रहे हैं लोग। Dainik Haryana News,RBI Latest News(चंडीगढ़): आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास( RBI Governor Shaktikanta Das) ने मौद्रिक नीतियों का ऐलान कर दिया है। गवर्नर ने पाया है कि अनसिक्योर्ड रिटेल लोन से जुड़ी समस्या सामने आई है लेकिन अभी चिंता करने की जरूत नहीं है। लेकिन गवर्नर ने के्रडिट में खतरे को महसूस किया है क्योंकि लोग उस लोन को ज्यादा ले रहे हैं जहां पर ज्यादा रिस्क है। READ ALSO :Best Book : यह किताबें बदल देगीं जिंदगी एक बार जरूर पढ़नी चाहिए केंद्रीय बैंक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने खुलासा किया कि पिछले दो वर्षों में सिस्टम में क्रेडिट ग्रोथ 12-14 फीसदी रही जबकि इस समय रिटेल के्रडिट 23 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। पिछले साल में यह 19.4 प्रतिशत बढ़ा था लेकिन इस साल यह 30.4 प्रतिशत तक बढ़ा है। सबसे अधिक तेजी क्रेडिट कार्ड लोन में आई और अप्रैल-अगस्त 2023 में इसकी ग्रोथ सालाना आधार पर 26.8 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है और एजुकेशन लोन भी 11 से 20.2 प्रतिश हो गया है।

गवर्नर को क्यों हुई चिंता?

आरबीआई की चिंता का कारण ये है कि पर्सनल लोन पूरी तरह से रिस्की होते हैं और इनके डिफॉल्ट होने का खतरा ज्यादा होता है। इनको भरने की कोई गारंटी नहीं होती है।इनकी वित्तीय क्षमता बड़े कॉरपोरेट की तुलना में काफी कम होती है। हालांकि, बैंक ने इसे लेकर कोई परेशानी तो नहीं बताई है लेकिन फिर भी सावधान कर दिया है। बैंक तब तक सावधानी बरतने के लिए नहीं कहता है जब तक कोई खतरा नहीं होता है। READ MORE :World Heritage List : भारत के ये 4 रेलवे स्टेशन हैं वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल इससे पहले के बैड लोन साइकिल में आर्थिक सुस्ती के दौरान अनसिक्योर्ड लोन में तब तेज उछाल दिखी थी जब लोगों की नौकरियां जा रही थी और कमाई गिर रही थी। 28 जून को जारी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में बैंक ने इस बात का पता लगाया था कि ग्रॉस एडवासेंज में बड़े कर्जदारों का हिस्सा पिछले तीन सालों में कम हो रहा है जिसकी तुलना में कॉरपोरेट की जगह खुदरा लोन लोग ज्यादा ले रहे हैं। बड़े कर्जदारों का हिस्सा मार्च 2020 में 51.1 फीसदी से घटकर मार्च 2023 में 46.4 फीसदी पर आ गया।