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 Yamuna River : यमुना नदी का किनारे पक्का करने के लिए नदी से निकाल ली गई 700 के लगभग पत्थरों की ट्रॉलियां

 
Latest News : मानसून सीजन में जैसे ही यमुना नदी का जल स्तर पांच लाख से ऊपर जाता है तो पानी कई जगह किनारों से टकराते हुए नुकसान करता है । हथिनी कुंड बैराज से लेकर गुमथला एरिया तक पानी तबाही मचाते हुए जाता है । इस दौरान बाढ़ बचाव के कार्य ध्वस्त हो जाते हैं । Dainik Haryana News :# Yamuna River News (ब्यूरो) : बाढ़ बचाव कार्य किस तरह से हो रहे हैं, इसकी सच्चाई जाननी है तो प्रतापनगर में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र से लगतेे यमुना नदी के एरिया में जाकर देखी जा सकती है । वहां पर यमुना नदी(Yamuna River) में पड़े पत्थरों से ही यमुना नदी का किनारा पक्का किया जा रहा है । ठेकेदार ने करोड़ों रुपए का टेंडर लिया है और वह यमुना नदी से ही करोड़ों का पत्थर उठाकर लगा रहा है । जबकि नियमानुसार यमुना नदी(Yamuna River) से पत्थर नहीं उठाया जा सकता । लेकिन यहां पर सब अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है । अधिकारी आंखे बंद किए हुए हैं । बताया जाता है कि यमुना नदी से करीब 700 ट्रॉलियां पत्थर की निकाली जा चुकी हैं । READ ALSO : Asia Cup Update: एशिया कप के लिए भारत की टीम का चयन, इस खिलाड़ी को मिली कप्तानी

हर साल मानसून में बह जाते हैं किनारेः

मानसून सीजन( monsoon season) में जैसे ही यमुना नदी का जल स्तर पांच लाख से ऊपर जाता है तो पानी कई जगह किनारों से टकराते हुए नुकसान करता है । हथिनी कुंड बैराज से लेकर गुमथला एरिया तक पानी तबाही मचाते हुए जाता है । इस दौरान बाढ़ बचाव के कार्य ध्वस्त हो जाते हैं । क्योंकि वे सही तरीके से नहीं किए होते । आधे अधूरे होते हैं । बाद में कह दिया जाता है कि ज्यादा पानी से आने से नुकसान हो गया और अधिकारी मिलीभगत कर ठेकेदार को पूरी पेमेंट कर देते हैं । सालों से ये ही काम चल रहा है ।

यमुनानगर में सबसे ज्यादा काम होने हैंः

READ MORE : Senior Citizens : बुजुर्गाें की हुई मौज, सरकार दे रही डबल पैसा इस बार बाढ़ बचाव के काम 31 जगह होने हैं । तीन काम पंचकूला जिले में है तो 28 काम जिला यमुनानगर में है । अधिकारियों के अनुसार बाढ़ बचाव के काम 30 जून तक पूरे होने हैं । यमुनानगर जिले में अभी 24 जगह पर बाढ़ बचाव के कार्य चल रहे हैं । चार की टेंडर प्रक्रिया चल रही है । टेंडर प्रक्रिया में बदलाव के चलते इस बार टेंडर होने में देरी हो रही है ।

पत्थर नदी से उठाना गलतः

सिंचाई विभाग( Irrigation Department) के एसई आरके मित्तल ने कहा कि इस बार बाढ़ प्रबंधन के लिए 12 करोड़ रुपए खर्च होंगे । अभी 10 करोड़, 15 लाख के काम अलॉट हुए है। इन कार्यों के लिए यमुना नदी(Yamuna River) से पत्थर नहीं उठाया जा सकता । अगर कोई ऐसा कर रहा है तो वह गलत है । इसकी जांच कराई जाएगी । उनका कहना है कि जो काम होने हैं उनमें 70 प्रतिशत काम पत्थर की सप्लाई का होता है। बाकी काम में ज्यादा समय नहीं लगता। जो भी पत्थर लगाया जा रहा है विभाग की तरफ से उसे चेक किया जाता है। विजिलेंस की टीम भी इसकी जांच करती है । ठेकेदार को 100 प्रतिशत काम होने के बाद ही पेमेंट दी जाती है ।