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Africa News : अफ्रीका में क्यों फट रही धरती, कारण जान हो जाओगे हैरान

 
Viral News :लंदन की जियोलॉजिकल सोसाइटी( Geological Society of London) का कहना है कि लाल सागर से लेकर मोजाम्बिक तक 3500 किलोमीटर तक का एरिये में घाटियों हैं। वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि इसकी क्या वजह है लेकिन अभी तक कोई भी इसका कारण पता नहीं कर पाया है। Dainik Haryana News :# Big Update (नई दिल्ली) : लोगों के रहन सहन और खानपान में तेजी से बदलाव आ रहा है। हर एक चीज में बदलाव के चलते धरती अपना रूख बदल रही है जो लोगों के लिए आफत बन सकती है। तेजी से हो रहे इस बदलाव को धरती सहन नहीं कर पा रही है। ऐसे में बताया जा रहा है कि अफ्रीका में धरती तेजी से फटने लगी है। मार्च में 56 किलोमीटर लंबी धरती फट गई थी जो अभी भी रूकने का नाम नहीं ले रही है अगर ऐसा ही चलता रहा तो अफ्रीका आने वाले समय में दो हिस्सों में बट जाएगा। आइए खबर में जानते हैं आखिर क्यों फट रही अफ्रीका में धरती। कारण जानने के लिए बने रहें हमारे साथ। READ ALSO :Chief Minister Divyang Scooty Scheme : इस राज्य के दिव्यांगों को फ्री में स्कूटी दे रही सरकार, कैसे करें योजना के लिए आवेदन

आखिर क्यों फट रही धरती :

लंदन की जियोलॉजिकल सोसाइटी( Geological Society of London) का कहना है कि लाल सागर से लेकर मोजाम्बिक तक 3500 किलोमीटर तक का एरिये में घाटियों हैं। वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि इसकी क्या वजह है लेकिन अभी तक कोई भी इसका कारण पता नहीं कर पाया है। रिपोर्ट का कहना है कि अगर लगातार ऐसा ही होता रहा तो अफ्रीका को दो हिस्सों में बांटने वाला सागर यहां पर बन जाएगा। नासा का कहना है कि पूर्वी अफ्रीका में सोमालियाई टेक्टोनिक प्लेट न्युबियन टेक्टोनिक प्लेट( Somalian tectonic plate Nubian tectonic plate) से पूर्वी की और तेज से खींच रही है। सोमाली प्लेट और न्युबियन प्लेट को अफ्रीका प्लेट के नाम से जाना जाता है। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि सोमालियाई न्युबियन प्लेटें से अगर हो रहा है। READ MORE :Manipur Violence: मणिपुर हिंसा में गलत फहमी का शिकार हुए BJP के मंत्री, भीड़ ने जला दी 120 करोड़ की संपत्ति

ऐसी बन रही दरार :

लंदन की जियोलॉजिकल सोसाइटी( Geological Society of London) का कहना है कि दरार एक वाई के आकार की बनी हुई है। कैलिफोर्निया की यूनिवर्सिटी( University of California) का कहना है अभी दरार की गति धीमी हो रही है। लेकिन भविष्य में यह और ज्यादा होने की आशंका जताई जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कितनी दूर जा सकता है और कितनी बड़ी दरार हो सकती है इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है।