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Decision Of Supreme Court : सरकारी कर्मचारियों को इतने दिन तक नहीं किया जा सकता सस्पेंड, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

 
Supreme Court : अगर आप भी सरकारी कर्मचारी हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज हम आपको सुप्र्रीम कोर्ट को बड़ा फैसला बताने जा रहे हैं जिसमें बताया है कि एक सरकारी कर्मचारी को कितने दिन तक सस्पेंड नहीं किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में। Dainik Haryana News,Allahabad Supreme Court(नई दिल्ली):साल 2011 में सस्पेंड हुए एक सरकारी कर्मचारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में बताया है कि एक सरकारी कर्मचारी को कितने दिनों तक सस्पेंड नहीं किया जा सकता है। कोर्ट का कहना है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को तीन महीनों से ज्यादा समय के लिए आप सस्पेंड नहीं रख सकते हैं। क्योंकि ऐसे व्यक्ति को समाज के आक्षेपों और विभाग के उपहास का सामना करना पड़ता है। न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की खंडपीठ ने लंबे समय तक सरकारी कर्मचारी को निलंबित रखने की प्रवृति की अलोचना की और कहा कि सस्पेंट आरोपों के निर्धारण की अवधि में अस्थायी होता है। इसकी समय अवधि काफी कम होनी चाहिए। अनिश्चितकाल के लिये हो या फिर इसका नवीनीकरण ठोस वजह पर आधारित नहीं हो तो यह दंडात्मक स्वरूप ले लेता है। READ ALSO:Hair Care Tips : सफेद बालों को काले करने के लिए शरीर की इस जगह पर लगा लें तेल, 7 दिनों में हो जाएगा असर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सस्पेंड का समय तीन महीने से ज्यादा का नहीं होना चाहिए, इस दौरान आरोपी अधिकारी या कर्मचारी को आरोप पत्र नहीं दिया जाता है। अगर आरोप पत्र दिया जाता है तो सस्पेंड की अवधि बढ़ाने के लिए विस्तृत आदेश दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ने रक्षा विभाग के संपदा अधिकारी अजय कुमार चौधरी की अपील पर यह फैसला दिया। उनको कश्मीर में चार एकड़ जमीन के गलत इस्तेमाल के लिए अनापत्ति प्रमाध पत्र देने का आरोप साल 2011 में सस्पेंड कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस फैसले से यह अधिकारी सस्पेंड को चुनौती दे सकता है। न्यायालय ने कहा कि जहां तक इस मामले के तथ्यों का सवाल है तो अपीलकर्ता को आरोप पत्र दिया जा चुका है और इसलिए यह निर्देश हो सकता है बहुत अधिक प्रासंगिक नहीं हो। लेकिन यदि अपीलकर्ता को अपने सतत् निलंबन को कानून के तहत किसी तरीके से चुनौती देने की सलाह मिलती है तो प्रतिवादी की यह कार्रवाई न्यायिक समीक्षा के दायरे में होगी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला(Supreme Court's decision) :

इलाहाबाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके लिए फैसला लिया है और कहा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को तीन महीने से ज्यादा सस्पेंड नहीं रखा जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर के सस्पेंड पर रोक लगादी थी। जिन्हें 11 तारीख को सस्पेँड कर दिया गया था। 3 महीने बीत जाने के बाद भी उसे कोई भी विभागीय चार्जशीट नहीं दी गई थी। READ MORE :AU Small Finance Bank : एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक और फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक ने की मर्जर कि घोषणा

ये था पूरा मामला

इस मामले के अनुसार जब याची बतौर पुलिस इंस्पेक्टर थाना प्रभारी कल्याणपुर, जनपर फतेहपुर में तैनात थे। उन्होंने एक युवती को गिरफ्तार कर लिया था। लड़की की बरामदी नहीं होने के कारण कोर्ट ने सख्ती दिखाई। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर प्रयागराज पुलिस महानिरीक्षक को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। इस कारण से याची को प्रयागराज में तैनाती के दौरान सस्पेंड कर दिया गया था।