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Indian Railway: 6 रूपये के चक्कर में चली गई सरकारी नौकरी, कोर्ट ने भी किया दरवाज़ा बंद

 
Breaking News: भारतीय रेलवे के एक क्लर्क को महज 6 रूपये,के लिए अपनी नौकरी से ही हाथ धोना पड़ा। गुहार लगाने पर कोर्ट ने भी दरवाजा बंद कर दिया। यात्री के महज 6 रूपये टिकेट के ना देने पर क्लर्क को अपनी नौकरी ही गंवानी पड़ी थी। Dainik Haryana News: Railway News(ब्यूरो): घटना बहुत पुरानी है, लेकिन बड़ी ही जबरदस्त घटी ये घटना है आखिर क्या है इस घटना का पुरा सच। मुबंई में आज से 26 साल पहले 6 रूपये के लिए एक भारतीय रेलवे में काम करने वाले क्लर्क को अपनी नौकरी ही गंवानी पड़ी। जब 31 जुलाई 1995 को राजेश वर्मा इंडियन रेलवे में क्लर्क बने थे। इसके 2 साल बाद साल 1997 में राजेश मुबंई में टिकट बुकिंग क्लर्क का काम कर रहे थे। एक प्लान के तहत विजिलेंस टीम ने RPF के एक जवान को आम यात्री बनाकर राजेश वर्मा के कांउटर पर टीकट के लिए भेजा। Read Also: Haryana Nuh Violence: हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खटर का बड़ा बयान नूंह में फिर से सोभा यात्रा निकालने पर दिया ये जवाब इसके बाद यात्री ने बिहार जाने के लिए टिकट मांगा जिसका किराया उस समय 214 रूपये था। नकली यात्री ने 500 का नोट निकाला और राजेश वर्मा को थमा दिया। 214 के टिकट के बाद 286 रूपये बकाया बचता था। क्लर्क राजेश वर्मा ने 280 रूपये लौटाए और 6 रूपये रख लिए। इसके बाद विजिलेंस की टीम ने आफिस में छापेमारी की तो काउंटर पर बिक्री के हिसाब से 58 रूपये कम मिले तथा उनके पास रखी एक अलमारी में 450 रूपये मिले जो यात्रियों से अधिक किराया वसूली के थे। इसके बाद अदालत में राजेश वर्मा को दोषी पाया गया और उनको नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद राजेश वर्मा ने जो भी अपिल की उनको खारिज कर दिया गया। Read Also: 8 Countries Giving Visa : ये 8 देश दे रहे वीजा और अपने देश में रहने का मौका, आज ही कर दें अप्लाई राजेश वर्मा के वकिल ने अपनी दलिल पेश करते हुए कहा कि छुट्टे रुपयों की दिक्कत के चलते नकली यात्री को 6 रूपये के लिए रूकने को कहा गया, तथा जो अलमारी आफिस में रखी गई थी जिसमें 450 रूपये मिले हैं वो अकेले राजेश वर्मा के संपर्क में नहीं थी, बल्कि पुरे स्टाफ के संपर्क में थी। रेलवे की और से वकील ने अपनी दलील में कहा कि उनके 6रूपये लौटाने की बात कही ही नही, अर्थात 6 रूपये लौटाने की उनकी कोई मनसा ही नहीं थी। और जो अलमारी वहां रखी थी जिसमें 450 रूपये मिले हैं वो राजेश वर्मा की पहुंच में थी। अधिक किराया वसूली का भी आरोप उन पर साबित हुआ इसीलिए अपना फैसला बरक़रार रखे।