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Mysterious Temple : इस मंदिर में जाने से आज भी क्यों डरते हैं लोग

 
Viral News : देशभर में बहुत मंदिर हैं जहां पर हर रोज हजारों लोग पूजा करने के लिए जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर जाने से लोग डरते हैं। आइए जानते हैं कौन सा है वो मंदिर और क्यों लोगों को लगता है डर। Dainik Haryana News,Big Breaking(New Delhi): हर दिन लोग पूजा करते हैं और हाल ही में मां दुर्गा के नवरात्रि खत्म हुई हैं। ऐसे में लोग पूजा करने के लिए रोज भगवान की पूजा करते हैं ताकि घर में शांति रहे। जो लोग सच्चे दिल से पूजा करते हैं उनको कभी माता निराश नहीं करती हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के देवास में मां दुर्गा का एक एसा मंदिर है जिसमें जाने से भी लोग डरते हैं। इस मंदिर पर लोग आते तो हैं लेकिन बाहर से ही दर्शन करके चले जाते हैं। अब सवाल ये है कि आखिर यहां पर लोग क्यों अंदर नहीं जाते हैं। READ ALSO :Ghaziabad News : दोस्त के साथ होटल में ठहरी लड़की की मिली लाश, 22 दिन बाद होने वाली थी शादी कहा जाता है कि मंदिर शापित है और सूर्यास्त के बाद इस मंदिर में कोई नहीं जाता है। लोगों का कहना है कि शाम होने के बाद यहां पर अजीब सी घटनाएं घटती हैं और डरावनी आवाजें आती हैं। बताया जा रहा है कि यहां पर शेरों के दहाड़ने की आवाजें आती हैं और कभी घंटों के नाद की आती है। इसी वजह से लोग शाम के समय में यहां पर जाने से डरते हैं। बहुत से लोगों ने इस मंदिर को तोड़ना तो चाहा लेकिन वो सफल नहीं हो सके। मजदूरों ने मंदिर तोड़ते समय गुबंदों से आग निकलती देखी और काम को वहीं रोक दिया गया। इस मंदिर का निर्माण देवास महाराजा ने करवाया था, इसके बनते ही बहुत से घरों में अजीब सी घटनाएं होने लगी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां राजा की बेटी के सेनापति से प्रेम संबंध थे। राजा को यह बात पसंद नहीं थी। वो इस रिश्ते के लिए राजी नहीं थे तो उन्होंने अपनी बेटी को जेल में डाल दिया और उसकी बेटी अपने प्रेमी से दूर को सह नहीं पाई तो जेल में ही उनकी मौत हो गई थी। READ MORE :Crime News : क्रिकेट मैच पर सट्टा खिलाते 3 गिरफ्तार, CIA की टीम ने मारी रेड राजकुमारी की मौत के बाद सेनापति ने भी मंदिर के परिसर में आत्महत्या कर लिया। इसके बाद राजपुरोहितों ने राजा को बताया कि मंदिर अपवित्र हो चुका है। मंदिर में रखी मूर्ती को कहीं और स्थापित कर दिया जाए। राजपुरोहितों की सलाह के बाद राजा ने पूरे सम्मान से मां की मूर्ती को उज्जैन के मंदिर में स्थापित करवाई। लेकिन इसके बाद भी मंदिर में होने वाली घटना नहीं रूकी। हालांकि, अभी तक इसके बारे में पूरी तरह से पता नहीं चला पाया है कि ये बातें सच हैं या झूठ।