{"vars":{"id": "112803:4780"}}

IAS Success Story: परिवार से लड़कर बनी आईएएस अफसर

 
Success Story: IAS और IPS बनना कोई आसान काम नहीं है। हर साल लाखों युवा इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन इनमें से सफलता बहुत कम को ही मिल पाती है। बहुत सी ऐसी कहानियां हैं जो प्ररणा से भरी हैं। जरूरी नहीं की IAS अफसर बनने के लिए हर सुख सुविधा का होना जरूरी है। Dainik Haryana News: #UPSC Success Story(नई दिल्ली): बहुत से ऐसे IAS अफसर रहे हैं जिनके सामने अनेकों समस्आऐं आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई। जो समाज उनके खिलाफ था उनकी सफलता के बाद वही समाज उनके साथ खड़ा दिखा। एक ऐसी ही महिला IAS अफसर की कहानी आज हम आपके लिए लेकर आए हैं। जिसकी पढ़ाई के खिलाफ उनका खुद का परिवार भी खड़ा था। हम बात कर रहे हैं हरियाणा के नस्रूल्लागढ़ की रहने वाली वंदना सिंह चौहान ( IAS Vandana Singh Chauhan) की। वंदना ने अपनी शुरूआती पढ़ाई अपने गांव से ही पुरी की, लेकिन आगे की पढ़ाई करने के लिए वंदना को बाहर जाना था। लेकिन इसके लिए उनका परिवार तैयार नहीं था। Read Also: chandrayaan mission 3: चंद्रयान मिशन 3 की तैयारी शुरू, जल्द होने जा रहा लांच लेकिन एक दिन वंदना ने अपने पिता से कहा की वो लड़की है इसलिए उसको पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाने दिया जा रहा। इसके बाद उनके पिता ने वंदना को पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया। इस पर उनके ताऊ चाचा और दादा जी वंदना के पिता से इस बात को लेकर नाराज रहे। लेकिन वंदना ने 12 वीं की पढ़ाई पुरी करने के साथ ही UPSC की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। इसके साथ में वो ला की पढ़ाई भी कर रही थी। इसके बाद से वंदना ने कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। वंदना के माता पिता का कीना है कि वंदना नें निंद आने के डर से अपने कमरे में कभी कुलर नहीं लगने दिया। ताकि ठंड की वजह से निंद ना आ जाए। वंदना 12 से 14 घंटे की पढ़ाई करती थी। Read Also: Seema Haider and Sachin Case: इतनी आसानी से भारत में कैसे आई अपने 4 बच्चों समेत पाकिस्तान की सीमा हैदर और साल 2012 में वंदना की मेहनत रंग लाई। वंदना ने UPSC की परीक्षा में आल इंडिया रैंक 8 लाकर अपने IAS बनने के सपने को पुरा किया। तथा जो समाज उनकी पढ़ाई के खिलाफ था। आज सफलता मिलने के बाद वही लोग उनकी तारीफ करते नजर आए। जो लोग मेहनत करते हैं उनको कभी ना कभी सफलता जरूर मिलती है। जब सफलता कदत चुमती है तो सब साथ आ जाते हैं। बुरे समय में बहुत कम लोग ही साथ में खड़े रहते हैं। वंदना के पिता ने उसका साथ दिया और आज वंदना एक IAS अफसर हैं।