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Success Story : 75 घरों के इस गांव ने देश को दिए 47 IAS और IPS अफसर

 
Story Of IAS, IPS Officer : कामयाब होने के लिए आज हर कोई संघर्ष कर रहा है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए बच्चे दिन रात एक कर रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे गांव की कहनी बताने जा रहे हैं जिसमें महज ही 75 घर हैं और वहां पर 47 IAS और IPS अफसर हैं। आइए खबर में जानते हैं इस गांव के बारे में।   Dainik Haryana News : Success Story Of IAS, IPS : कामयाबी ऐसे ही नहीं मिलती है। लोगों को दिन रात मेहतन करनी पड़ती है और तब कहीं जाकर बच्चों के सपने पूरे होते हैं। लेकिन, एक बात तो तय है कि अगर आप दिल से मेहनत कर रहे हैं तो आपको कामयाबी जरूर मिलेगी। किसी ने ठीक ही कहा है, आपकी मेहनत का एक जर्रा भी जाया नहीं जाता है।       इसी के साथ आज हम आपको एक ऐसे गांव की कहानी बताने जा रहे हैं जहां पर 75 गांव हैं और वहां पर 47 IAS और IPS  अफसर हैं। दरअसल, ये गांव यूपी का है जौनपुर जिले का माधोपट्टी गांव है। इस गांव ने देश को 47 अफसर दिए हैं जो एक गर्व की बात है। जानकारी से पता चल रहा है कि वहां के लोग केवल IAS और IPS  ही नहीं बल्कि बड़े पदों पर भी तैनात हैं। रिपोर्ट से पता चला है कि 51 लोग बड़े पदों पर और 47 IAS और IPS अफसरों के पदों पर काम कर रहे हैं।  

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गांव का पहला अफसर :

    गांव में पहली बार 1952 में डॉक्टर इंदुप्रकाश ने UPSC  की परीक्षा को पास किया और दुसरा रैंक पाया। डॉक्टर इंदुप्रकाश के चार भाई और थे जो बाद में वो भी IAS अफसर बनें और अपने गांव का नाम बनाया। उसके बाद साल 2002 में डॉक्टर इंदुप्रकाश के बेटे यशस्वी ने भी इस परीक्षा को पास किया और 31वीं रेैंक को हासिल कर अपना पद भार संभाल लिया।  

गांव के लोगों ने कही ये बात :

 

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  वहां के लोगों से जब बातचीत की गई तो वहां के लोगों ने बताया है अब साल 2019 के बाद कोई भी परीक्षा को पास नहीं कर पाया है। लेकिन, अफसर बनने के बार सभी अपने अपने कामों में लगे हैं कोई भी ऐसा नहीं है जो गांव की और देखें और यहां का सुधार करवा दें। गांव की हालत वही पहले वाली ही है। गांव के एक व्यक्ति रणविजय सिंह ने बताया है कि वैसे तो गांव की बैटी और बहुएं भी अफसरों के पदों पर हैं और अन्य भी कई बड़े पदों पर हैं पर गांव की और कोई नहीं देखा रहा है। ना हीं गांव को चमकाने के लिए कोई सोच रहा है।  

गांव ने टीचर ने कही ये बात:

  आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गांव के टीचर ने भी एक बात कही है कि बच्चों की इस सफलता के पीछे तिलक धारी सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज( Tilak Dhari Singh Post Graduate College) का हाथ है। बच्चे अपने सपनों की तैयारी यहीं से शुरू कर देते हैं और काफी सारी चीजें उनको यहां से समझ आने के बाद उनको कोचिंग की आवश्यकता भी नहीं होती है।