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Reindeer Fact : सोते समय बारहसिंगा करते है ये काम, जानकर हो जाएगें हैरान

 
Breaking News : कई बार हम एक साथ एक से ज्यादा काम करते है। महिलाएं खाना बनाते समय रेडियों सुनती है।कई लोग खाते समय अखबार पढ़ते है। क्या सोते समय हम ऐसे काम कर सकते है जो हम जागते समय करते है। ऐसा नही होता है। नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि बारहसिंगा ऐसा कर सकता है Dainik Haryana News,Reindeer (New Delhi ) :  नॉर्वे के ट्रोम्सो के नॉर्वीजन इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइकोनॉमी रिसर्च के शोधकर्ताओं ने इस अनोखे अध्ययन में पाया है कि बारहसिंगा सोते समय भी मल्टीटास्किंग कर सकते हैं. उन्होंने अवलकोन करने पर पाया कि वे सोते समय भी खाना चबाने का काम बखूबी कर सकते हैं. Read Also : Haryana Latest News : हरियाणा के किसानों के लिए कृषि मंत्री ने की ये बड़ी घोषणाएं, किसानों के तो खिल गए चेहरे बारहसिंगा के पेट में भी गाय की तरह चार हिस्से होते है। इसका उपयोग वे पहले कम चबाए हुए भोजन को जमा करने के लिए करता है। उसके बाद वे जुगाली की प्रक्रिया कर पेट में से खाना मुंह में वापस ला कर चबाते हैजब बारहसिंगा आराम करता है तो अपनी भोजन पचाने की जरूरत को उस समय भी पूरा कर लेता है। इसलिए वे सोते समय भी चबाने का काम करते है।नींद के समय उनका दिमाग इस प्रक्रिया को नियंत्रित कर सकता है। बारहसिंगा आराम करते समय भी नींद वाला बर्ताव करते है। इस दौरान उनकी आंखें बंद नही रहती है। चाहे वे खड़े हो या फिर बैठे हो,वे अपने पास बैठे बारहसिंगा की आवाजों पर भी ध्यान नही देते है।करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चार वयस्क मादा बारहसिंगा की दिमागी गतिविधियों के आंकड़ों को जमा किया. इसके लिए उन्होंने उनके सिर पर इलेक्ट्रोड लगाए और सर्दी, गर्मी और वसंत के मौसम के दिनों में अवलोकन कर ईईजी के आंकड़े हासिल किए Read More : Ind W vs Aus W Test Match: भारत की बेटियों ने ऑस्ट्रेलिया को चबाए नाकों तले चने, दर्ज की एतिहासिक जीत खाना चबाते या पचाते हुए सोने की जरूरत छोटे दिनों के मौसम में अहम होती होगी। वे दिन में खाना जमा करने या खाने की खोज में फिरते रहते है। ऐसा वे कम भोजन वाली सर्दी के मौसम के तैयारी के लिए करते है। ऐसे में उन्हें आराम की जरूरत नही होती होगी। लेकिन यह सच नही है।जब शोधकर्ताओं ने ईईजी के आकंड़ों का विश्लेषण किया तो पाया गया कि चाहे मौसम कोई भी हो, बारहसिंगा का बहुत सा मौसम सोने में गुजरता है। यहां तक कि उनकी नींद के अलग अलग दौर है जैसे रैपिट आई मूवमेंट की नींद,नॉन रेम स्लीपशोधकर्ताओं ने पहले बारहसिंगा की नींद में दो घंटें का खलल डाला और उनकी नींद की जरूरत बढ़ सके। इससे इंसानों की तरह उनके दिमाग में भी यह विचार पैदा हुआ कि उन्हें कितना सोना है। ऐसा सभी जानवरों में नहीं होता है। जब बारहसिंगा जुगाली कर अपना भोजन चबा रहे होते है तो उसके खत्म होने के बाद इनकी नींद भी गायब हो जाती है और वे जाग जाते है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जुगाली करते समय वे एक तरह की नॉन रेम स्लीप में चले जाते है। यह नींद की एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें बंद आंखें हिलती नहीं है।