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क्या सच में चिप से हैक हो सकती है EVM Machine?

 
EVM Machine Hacking : पुराने समय में वोट डालने के लिए मत पेटियोें का इस्तेमाल किया जाता था। उस समय मतदान केंद्रों में काफी ज्यादा धोखाधड़ी होती थी, लोग इन पेटियों को चुराने के लिए काफी ज्यादा हमले होते थे। उसके बाद सरकार ने ईवीएम मशीन को चलाया जो हैक नहीं हो सकती है। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या ईवीएम मशीन को भी हैक किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में। Dainik Haryana News,Digvijay Singh Tweet On EVM(नई दिल्ली): हाल ही में भारत के पांच बड़े राज्यों में चुना हुए हैं और बिजेपी ने जोरदार जीत के साथ अपनी सत्ता को शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि ईवीएम मशीन को हैक किया जा सकता है। दिग्वजय सिंह ने एक्स पर ट्वीट किया है कि कोई भी चिप वाली मशीन को हैक किया जा सकता है। मैने 2003 से ही ईवीएम मशीन द्वारा मतदान का विरोध किया है। अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों द्वारा कंट्रोल करने की अनुमति दे सकते हैं! उनका कहना है कि इसका समाधान सभी राजनीतिक दलों को करना होगा। माननीय ईसीआई और माननीय सुप्रीम कोर्ट क्या आप कृप्या हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा कर सकते हैं। READ ALSO :Gogamedi Murder: देखते ही देखते बदल गया कमरे का माहौल, एक के बाद एक करके दागी 17 गोलियां

क्या सच में ईवीएम मशीन हो सकती है हैक?

ईवीएम मशीन का इस्तेमाल फिलीपींस, भूटान, नेपाल, ब्राजिल, वेनेजुएला, रोमानिया, कनाडा आदि देशों में चुनाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है और अब ये जानना जरूरी है कि क्या सच में ईवीएम मशीन हैक हो सकती है। ईवीएम मशीन की हैकिंग की चर्चा कई सालों से हो रही है। 2017 में चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम मशीन को हैक करने का खुला चैलेंज दिया था। उनका कहना था कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इलेक्शन दफ्तर में जाकर ईवीएम मशीन को हैक कर सकता है।

ऐसी होती है EVS Machine?

READ MORE :Business Idea : आज ही शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी लाखों रूपये की कमाई ईवीएम मशीन पर पार्टियों के नाम होते हैं साथ ही प्रत्याशी का नाम रहता है। मतदान के लिए एक बटन को दबाना होता है। अगर आप दूसरी बार किसी दूसरी पार्टी का बटन दबा देते हैं तो पहले वाला ही मान्य माना जाता है। पास में ही एक मशीन लगी रहती है जो वोट डालने वाली पार्टी के नाम को दिखाती है। ईवीएम मशीन में वोटिंग महज ही घंटों में हो जाती है, लेकिन पहले मतपेटी से वोट की गिनती करते समय कम से कम 40 घंटे का समय लगता था।