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Lord Ram : आज ही अपना ले भगवान श्री राम की ये 4 बातें, जीवन में कभी नहीं होगी हार

 
Success Tips : भगवान श्री राम को एक आर्दश पुरूष के तौर पर बताया जाता है। आज हम आप को भगवान श्री राम के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएंगे जिनको हर मनुष्य अपने जीवन में अपना ले जीवन में हर परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते है भगवान श्री राम के चरित्र के बारे में। Dainik Haryana News, Lord Shri Ram(NewDelhi):रामयण को हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक माना जाता है। भगवान राम श्रीहरि विष्णु का अवतार माना जाता है। रामयण के अनुसार भगवान श्री राम को राजा दशरथ के 4 पुत्रों में से सबसे बड़ा पुत्र था आज हम आप को भगवान श्री राम चरित्र की कुछ ऐसी बातों के बारे में बताएंगे जिनको हर व्यक्ति आपने जीवन में आपनाकर हर व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा पा सकता है। आइए जानते है भगवान श्री राम की विशेषताएं। Read Also : Hindi Funny Jokes: अगर आप हंसते गाते रहेंगे तो आपके आस-पास भी चींता नहीं फटकेगी

धैर्यशीलता का पाठ पढ़ाया:

आज के समय में ज्यादातर इंसान में धैर्य की कमी होती है जिससे उसके जीवन में कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में भगवान राम जीवन में धैर्य का एक बेहतरीन उदाहरण देते हैं. जब मां कैकयी ने श्रीराम को वनवास जाने का आदेश दिया था तब उन्होंने इस आदेश को धैर्य के साथ स्वीकार किया था.

माता-पिता की हर बात का पालन करना:

भगवान श्री राम राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। इस अधिकार से भगवान राम को अयोध्या की राजगद्दी मिलनी थी। लेकिन भगवान श्री राम ने कैकयी के आदेश का पालन किया और राजपाट छोड़कर 14 वर्ष के वनवास चले गए। इससे मानव जाति को ये शिक्षा लेनी चाहिए कि हर संतान का पहला धर्म अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना है।

कैसे बने अच्छा मित्र:

भगवान श्री राम मित्रता का भी एक बहुत ही अच्छा उदाहरण देते हैं. रामायण में वर्णित है कि केवट, सुग्रीव और विभीषण श्रीराम के सच्चे मित्र रहे हैं. भगवान राम ने सभी के साथ बिना किसी भेदभाव के दोस्ती निभाई थी. Read More  :Elon Musk : एलन मस्क एक बार फिर बने दुनिया के सबसे अमीर आदमी, जानें कितनी है संपत्ति?

आदर्श भाई कैसे बनें:

भगवान श्री राम राजा ने एक आदर्श पुत्र होने साथ में एक आदर्श भाई का बहुत अच्छा उदाहरण है। वनवास के दौरान भगवान श्री राम राजा के भाई भरत उनको वापस अयोध्य लेने के लिए आए तो भगवान श्री राम राजा ने आपनक माता-पिता की आज्ञा को ऊपर रखा और पूरा राज पाट आपने भाई भरत को सौंप दिया।