{"vars":{"id": "112803:4780"}}

MP के इस मंदिर में इंसान ही नहीं तोते भी करते हैं भगवान की पूजा

 
Viral News : इस मंदिर पर 5 हजार वर्ग फीट की छत है यहां पर 50 सालों से लगातार तोतों को ज्वार डाली जा रही है। जब भी सभी ताते प्रसाद को ग्रहण करने आते हैं तो सभी पहले बजरंगबली के ध्वज को नमन करते हैं और फिर अपने प्रसाद को लेते हैं। जो भी ज्वार तोतों को दी जाती है वो बेहद ही सेहतमंद होती है और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है। Dainik Haryana News :#MP News (नई दिल्ली) : आपने हमेशा ही भगवान की पूजा करते हुए इंसानों को देखा होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर सिर्फ इंसान ही नहीं, पक्षी भी भगवान की पूजा करते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की जहां पर 200 साल पुराना पंचकुइयां श्री राम जी का मंदिर है। वहीं पास साथ में खेड़ापति बाला जी का भी मंदिर है। आपकी जानकर हैरानी होगी के हर रोज सुबह 5.30 पर लाखों तोते यहां पर आते हैं और पंगत लगा भगवान की पूजा करते हैं। इस मंदिर में 50 सालों से हर रोज लंगर चल रहा है कभी भी नहीं चूका के यहां पर लंगर ना हो। कहा जाता है कि पंचकुइयां में बहुत से संतों ने बहुत सारी तपस्या करी है। READ ALSO : सहकारी बैंकों में हुए बड़े बदलाव, RBI ने दी जानकारी यह एक तपोभूति के नाम से भी जानी जाती है जो भी तोता ज्वार ग्रहण करता है वो संत रूपी होता है। भगवान बजरं बली की कृपा है यहां पर 50 सालों से लोगों का पेट भरा जा रहा है। यहां पर हनुमानजी का मंदिर एक चबूतरे पर होता है और बाकि का इलाका खाली खेतों से ढका हुआ था। तब से ही यहां पर तोतों को ज्वार डाली जाती थी जो आज तक डाली जा रही है। तभी से ही ये तोते यहां पर आ रहे हैं।

प्रसाद ग्रहण करने आते हैं तोते :

READ MORE : Today Haryana Weather : हरियाणा के इन जिलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी, मौसम विभाग ने दी जानकारी इस मंदिर पर 5 हजार वर्ग फीट की छत है यहां पर 50 सालों से लगातार तोतों को ज्वार डाली जा रही है। जब भी सभी ताते प्रसाद को ग्रहण करने आते हैं तो सभी पहले बजरंगबली के ध्वज को नमन करते हैं और फिर अपने प्रसाद को लेते हैं। जो भी ज्वार तोतों को दी जाती है वो बेहद ही सेहतमंद होती है और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है। यहां पर इंसानों से भी ज्यादा अनुशासन ये तोते करते हैं। पहले एक पंगत को खाना खाना होता है। जब उनको पेट भर जाता है तो दूसरे तोते पेड़ों से उड़कर आते हैं उनसे पहले कोई नहीं आता है। ऐसे ही एक दूसरे की बारी लगती है और हर रोज भगवान की पूजा करते तोते अपना प्रसाद ग्रहण करते हैं।