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Vastu Tips : इस दिन गाय की पूजा करने से घर में आता है धन, जरूर जानें

 
Cow Poojan : भारत में गाय को मां का दर्जा दिया जाता है और किसान गाय को पालते भी हैं। आज हम आपको गाय के बारे में एक ऐसी बात बताना चाहते हैं जिससे आप खुश हो जाएंगे। आइए जानते हैं। Dainik Haryana News,Vastu News(New Delhi): धर्म के हिसाब से सनातन में कार्तिक मास को सबसे पवित्र और पुण्य वाला माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस महीने में भगवान विष्णु के साथ गाय माता की भी पूजा की जाती है। कार्तिक शुल्क पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है और इस दिन गाय की पूजा की जाती है। गाय की पूजा को लेकर द्वापर युग से इसे निभाने की परंपरा चली आ रही है, भगवान श्री कृष्ण ने गायों का पूजन ब्रज वासियों के साथ कर इसकी शुरूआत की थी। READ ALSO :Viral News : करोड़ों साल पहले विलुप्त हुआ था ये विशालकाय जानवर, वैज्ञानिक ला सकते हैं दौबारा इस दिन हर कोई गाय को चारा खिलाता है और माता की परिक्रमा करती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, बुंदेलखंड में तो गाय के नीचे से निकलने की भी परंपरा है और गाय के पूजन करने के बाद उसके नीचे निकलने से सुख समृद्धि आती है। भागवत आचार्य पंडित शोभित शास्त्री के अनुसार इस बार गोपाष्टमी 20 नवंबर सोमवार के दिन मनाई जा रही है। इस दिन सभी माता बहने गाय की पूजा करती हैं और माता से आर्शिवाद लेती हैं। माता को हल्दी चावल अक्षत से तिलक लगाए या उनके हाथ पैरों पर चित्रकारी करें। माता के सींग को कलर करें और घ्ांटी को बांदना चाहिए।

गाय में 33 कोटि देवता करते हैं वास :

आपको बता दें, गाय माता में 33 कोटि देवी देवता वास करते हैं और अगर आप माता की पूजा करते हैं तो भगवान खुश होकर आपको आशीर्वाद देते हैं। ऐसा करने से आपके घर की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि आती हैं। शास्त्रों का कहना है कि बृजवासी बारिश के लिए भगवान इंद्र की पूजा करते थेी जब भागवान विष्णु की पूजा करते और मेघ बरसने का आदेश देते। READ MORE :Uttarakhand Tunnel Collapse: उतराखंड में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बनाए गए हैं ये प्लान भगवान श्री कृष्णा ने मवेशियों को लेकर गोवर्धन के नीचे आ गए थे और 7 दिन तक ब्रज वासियों की रक्षा की थी सब इंद्रदेव ने आकर भगवान से क्षमा याचना की थी इंद्र का अभिमान दूर किया था. भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गाय माता की पूजा की जाती है और उसके बाद बृजवासियों ने गाय की पूजा करना शुरू कर दिया है। उसी दिन से गाय की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।