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Viral News: इस गांव में महिलाएं क्यों नहीं पहनती कपड़े!

Latest News:  आज हम आपको देश के ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जिसमें महिलाएं कपडेÞ नही पहनती हैं देश में हर एक राज्य के अपने अलग-अलग नियम होते हैं।  आज हम आप को एक ऐसे गांव की परंपराओं के बारे में बताएंगे जिसको जानकर आप हैरान रह जाएगें आइए जानते हैं इस गांव के बारे में।
 

Dainik Haryana News, Big Breaking News (New Delhi):देश और दुनिया में कई ऐसी परंपराएं हैं, जिनको लेकर चर्चा, विवाद और आलोचना होती रहती है। कई बार  ब्याह से पहले लड़के या लड़की के पेड़ के साथ विवाह संस्कार, कहीं भाई से तो कहीं मामा के साथ शादी को लेकर चर्चा (discussion about marriage) होने लगती है।

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कहीं, सामान्य जीवन में महिलाओं या पुरुषों के लिए बनाई गई कई परंपराएं भी देश दुनिया में प्रचलित हैं. भारत के एक गांव में भी महिलाओं और पुरुषों के लिए एक अजीबोगरीब परंपरा है।

हिमाचल प्रदेश(Himachal Pradesh) की मणिकर्ण घाटी के पिणी गांव (Pini Village)में सदियों से चली आ रही एक परंपरा का पालन करते हुए आज भी महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं. वहीं, पुरुषों के लिए भी इस गांव में एक सख्त परंपरा है, जिसका पालन करना उनके लिए भी अनिवार्य है. परंपरा के तहत महिलाएं साल में 5 दिन ऐसे होते हैं, जब वे एक भी कपड़ा नहीं पहनती हैं. वहीं, पुरुष इन 5 दिनों में शराब औरमांस  का सेवन नहीं कर सकते हैं।

क्यों आज भी निभाई जाती है परंपरा?(Why is the tradition still followed today?)


पिणी गांव में इस परंपरा का काफी रोचक इतिहास है. हालांकि, अब इन खास 5 दिनों में ज्यादातर महिलाएं घर से बाहर ही नहीं निकलती हैं. लेकिन, कुछ महिलाएं अपनी इच्छा से आज भी इस परंपरा का पालन करती हैं. पिणी गांव की महिलाएं हर साल सावन के महीने में 5 दिन कपड़े नहीं पहनती हैं. कहा जाता है कि इस परंपरा का पालन नहीं करने वाली महिला को कुछ ही दिन में कोई बुरी खबर सुनने को मिल जाती है. इस दौरान पूरे गांव में पति-पत्नी आपस में बातचीत तक नहीं करते हैं. इस दौरान पति-पत्नी एकदूसरे से पूरी तरह दूर रहते हैं।
 


क्या है परंपरा के पीछे की कहानी?(What is the story behind the tradition?)


कहा जाता है कि बहुत समय पहले पिणी गांव में राक्षसों का बहुत आतंक था. इसके बाद ह्यलाहुआ घोंडह्ण नाम के एक देवता पिणी गांव आए. देवता ने राक्षस का वध किया और पिणी गांव को राक्षसों के आतंक से बचाया. बताया जाता है कि ये सभी राक्षस गांव की सजी-धजी और सुंदर कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाओं को उठा ले जाते थे. देवताओं ने राक्षसों का वध करके महिलाओं को इससे बचाया. इसके बाद से देवता और राक्षस के बीच 5 दिन तक महिलाओं के कपड़े नहीं पहनने की परंपरा चली आ रही है. माना जाता है कि अगर महिलाएं कपड़ों में सुंदर दिखेंगी तो आज भी राक्षस उन्हें उठाकर ले जा सकते हैं।

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सावन के इन पांच दिनों में पति और पत्नी एकदूसरे को देखकर मुस्करा तक नहीं सकते हैं. परंपरा के मुताबिक, दोनों पर इसकी पाबंदी लागू रहती है. महिलाओं को इस दौरान बस एक वस्त्र पहनने की अनुमति होती है. इस परंपरा को मानने वाली पिणी गांव की महिलाएं ऊन से बना एक पटका इस्तेमाल कर सकती हैं. पिणी गांव के लोग इस दौरान किसी भी बाहरी व्यक्ति को गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं देते हैं. यहां तक बाहर के लोग उनके इस खास त्योहार में भाग भी नहीं ले सकते हैं।


पुरूष ना निभाएं तो क्या होता है?(What happens if men do not obey?)


पुरूषों के लिए भी इस परंपरा को निभाना बहुत ही जरूरी माना जाता है। और हाल में उनके नियम कुछ अलग ही हैं। पुरूषों को इन पांच दिनों के दौरान शराब और मांस का सेवन नहीं करने की परंपरा हैं कहा जाता है कि अगर पुरूष इस परंपरा को सहीं नहीं निभाया तो देवता नाराज हो जाते है और उसका नुकसान कर देंगे। 

यह जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधरित है दैनिक हरियाणा न्यूज इस बात की पुष्टी नहीं करता है।