Business News : आज के समय में हर कोई बिजनेस की तरफ रूख कर रहा है, लेकिन बिजनेस करने के लिए काफी ज्यादा बजट की जरूत होती है। क्या हो अगर आप हम आपको एक ऐसे बिजनेस के बारे में बताएं जिसको करने के लिए लागत काफी कम और कमाई ज्यादा हो। तो चलिए जानते हैं ऐसे बिजनेस के बारे में जिसमें महज ही 25 हजार रूपये की लागत आती है और कमाई 6 लाख रूपये की आती है। आइए खबर में जानते हैं इस बिजनेस के बारे में।
Dainik Haryana News,Latest Business Update(चंडीगढ़): बिजनेस करने के लिए सबसे पहले आइडिया की जरूत होती है, उसके बाद पैसा, जगह, कर्मचारी आदि बहुत सी चीजों की आवश्यकता होती है। आज हम आपको ऐसा ही बिजनेस बताने जा रहे हैं जो काफी अच्छा है। आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा जिसको लगाने में तो 25 हजार रूपये का खर्च आता है लेकिन इसके बाद कमाई 60 लाख रूपये की होती है क्योंकि इस पेड़ से एक साथ ही 400 किलो लकड़ी निकलती है।
सफेदा को पेड़(tree to white) :
आपने देखा होगा कि सड़कों के किनारे पर सफेदा के पेड़ दिखाई देते हैं। इंग्लिश में यूकलिप्टस कहा जाता है, जबकि भारत में सफेदा को गम और नीलगिरी के नाम से जाना जाता है। यूकलिप्टस मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया में उगाया जाता है, लेकिन यह भारत में भी काफी ज्यादा प्रचलित है। हालांकि भारत में सफेदा के पेड़ की खेती बहुत ही कम की जाती है, जिसकी वजह से यह पेड़ सड़कों के किनारे पर लगाया जाता है। अगर आप इस पेड़ की खेती करते हैं तो इसमें लाखों रूपये की कमाई कर सकते हैं। इस पेड़ की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है, जिसका इस्तेमाल पेटियाँ, ईंधन, हार्ड बोर्ड, फर्नीचर और पार्टिकल बोर्ड इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है। इस पेड़ की आपको काफी ज्यादा देखभाल करनी होती है। इस पेड़ की लंबाई काफी ज्यादा होती और जिसकी चौड़ाई ज्यादा नहीं होती है, इसलिए इसमें ज्यादा जगह की जरूत नहीं होती है।
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अगर आप 3 हजार पेड़ लगाते हैं तो पांच साल बाद 12,00000 किलो लकड़ी मिलेगी। बाज़ार में यूकलिप्टस की लकड़ी 6 रुपए प्रति एक किलो के भाव से बिकती है। तो प्राप्त सारी लकड़ी का 72 लाख रुपए आसानी से प्राप्त हो जा सकता है। यदि इसमें से लागत निकाल देते हैं तो यूकेलिप्टस की खेती से 5 साल की अवधि में 60 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त हो सकता है।
कहीं भी उगा सकते हैं सफेदे का पेड़ :
यूकेलिप्टस का पेड़ उगाने के लिए किसी भी विशेष तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। यह पेड़ हर तरीके की जलवायु में सहज रूप से ही विकसित होता है। इसलिए इस पेड़ को किसी भी तरह की जमीन पर और कहीं भी आसानी से उगाया जा सकता है। इतना ही नहीं यह पेड़ किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है और इसकी खेती के लिए हर मौसम उपयुक्त माना जाता है। यूकलिप्टस के पेड़ काफी ऊंचे होते हैं। इन पेड़ों की ऊंचाई 30 मीटर से लेकर के 90 मीटर तक की होती है। यूकलिप्टस का पेड़ सिधाई में ही बढ़ता है।
ऐसे करें खेती?
यूकलिप्टस की अच्छी फसल लगाने के लिए खेत को काफी गहराई तक अच्छे से जुताई की जाता है। इसके बाद इस खेत को पाट करके समतल किया जाता है। समतल किए गए खेत में यूकलिप्टस के पौधों रोपने के लिए गड्ढों को तैयार किया जाता है और फिर इन गड्ढों में गोबर की खाद का इस्तेमाल करके इन्हें अच्छा उपजाऊ बनाया जाता है। खाद डालने के बाद गद्दों की सिंचाई कर दी जाती है और पौधों को रोपने से 20 दिन पहले ही इन गड्ढों को तैयार कर लिया जाता है। उसके बाद 5 फीट की दूरी पर इन पौधों को रोपा जाता है।
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यूकलिप्टस के पौधों को नर्सरी में ही तैयार कर लिया जाता है। खेती के लिए इन पौधों को नर्सरी से ही लाया जाता है और इसके बाद इन पौधों की रोपाई की जाती है। यूकलिप्टस के पौधों की रोपाई करने के लिए बारिश ही सबसे उपयुक्त मौसम होता है। क्योंकि ऐसा करने से इन पौधों को प्रारम्भिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि बारिश से पहले रोपाई की गई है पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद ही करनी पड़ती है।
40 से 50 दिनों में करनी होती है सिंचाई :
बारिश के मौसम में यूकलिप्टस के पौधों को 40 से 50 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती रहती है। 40 से 50 दिन में इन पौधों को पानी चाहिए होता है। लेकिन मौसम सामान्य होने पर यूकलिप्टस के पौधे को 50 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए। यदि आप इस पौधे की खेती करने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें कि यूकलिप्टस के पौधे को खरपतवार से बचना बहुत आवश्यक होता है। बारिश के मौसम में तीन से चार बार गुड़ाई की आवश्यकता होती है। इस दौरान पौधे के आस पास उगने वाले खरपतवार को नष्ट कर देना चाहिए। बता दें कि यूकलिप्टस के पौधे को पूरी तरह से बड़े और तैयार होने में 8 से 10 वर्ष का समय लग जाता है। यूकलिप्टस के पौधों की 6 प्रजातियाँ भारत में आसानी से उगाई जाती हैं। यह हैं यूकलिप्टस निटेंस, यूकलिप्टस आब्लिकवा, यूकलिप्टस विमिनैलिस, यूकलिप्टस डेलीगेटेंसिस, यूकलिप्टस ग्लोब्युल्स, एवं यूकलिप्टस डायवर्सिकलर।