Pashmina soul history : एक ऐसा शॉल, जिसे बनाने में लगते हैं 3 साल
Dainik Haryana News,How to Order Pashmina Shawl(नई दिल्ली): वैसे तो मार्केट में देशभर के शॉल आपको देखने को मिलते हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं पश्मीना शॉल की जिसे बनाने में भी तीन साल का समय लगता है। विदेशों में भी लोग इसे आढ़ना पसंद करते हैं। यह शॉल अपनी मुलायमता, खूबसूरती व गर्माहट के लिए जाना जाता है। यह शॉल कुछ ही सालों में स्टेटस सिंबल भी बन गया है व इसे कश्मीर का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि वहां पर पैदा होने वाली बकरियों की ऊन से इसे बनाया जाता है।
शॉल का नाम कैसे पड़ा पश्मीना?
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आज हम आपको बताएंगे कि आपक कैसे पश्मीना शॉल की पहचान कर सकते हैं और इसे पश्मीना ही क्यों कहा जाता है। दिल्ली में हर साल लाल किला में आयोजित भारत पर्व में जम्मू-कश्मीर के लोग स्टॉल लगाते हैं और वो जम्मू में बनने वाले गर्म कपड़ों को व शॉल को लेकर वहां आते हैं। यहां पर कश्मीर में बनने वाले गर्म कपड़े बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक यहां पर कपड़े मिलते हैं, जिन्हें आप सर्दी में आसानी से पहचान सकते हैं।
क्या है शॉल की खासियत :
ये शॉल नॉर्मल शॉलों से हल्का होता है च इसे बनाने में भी तीन साल का समय लगता है। इस शॉल को तीन कारीगरों से मिलकर बनकर बनाया जाता है इसके यहां पर डिजादन देकर अपने हिसाब से भी आप इस शॉल को बनवा सकते हैं।
कितने रूपये का मिलता है शॉल?
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इस पश्मीना शॉल की कीमत 5 हजार से लेकर 8 हजार तक होती है। इनको जम्मू-कश्मीर में बनाया जाता है और वहां पर गर्म सूट भी एक हजार रूपये से लेकर 22 हजार रूपये तक मिलते हैं। पुरुषों की वूलन जैकेट 1200 में, और बच्चों के स्वेटर 500 में मिल जाएंगे, जो कि महिलाओं की पहली पसंद होती है। अगर आप भी इस शॉल को लेना चाहते हैं तो घर बैठे मंगवा सकते हैं।