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Cheque Bounce Rules : क्या चेक बाउंस होने पर होती है सजा या सिर्फ लगती है पेनेल्टी

 
Cheque Bounce Rules : क्या चेक बाउंस होने पर होती है सजा या सिर्फ लगती है पेनेल्टी
Cheque Bounce Latest Rules : आपके सामने बहुत सी खबर आई होंगी की चेक बाउंस हो गया है। क्या आपको पता है कि चेक बाउंस होना एक अपराध है। लेकिन क्या आपको पता है कि चेक बाउंस होने पर सजा होती है या सिर्फ पेनेल्टी ही लगती है। आइए जानते हैं इसके बारे में। Dainik Haryana News,Cheque Bounce(नई दिल्ली): चेक काटने से पहले एक बार अपने बैंक अकाउंट को चेक कर लेना चाहिए। अगर आपके खाते चेक में डाली रकम से कम पैसे हैं तो आपका चेक बाउंस हो जाता है। ऐसे में आपको सजा मिल सकती है ओर पेनेल्टी भी काफी ज्यादा देनी पड़ती है। इसके अलावा अगर आप किसी को बाउंस चेक देते हैं तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है और सजा भी हो सकती है। किस वजह से होता है चेक बाउंस? एक चेक कई कारणों की वजह से बाउंस हो सकता है। READ ALSO :Pakistan vs Afghanistan Live: पाकिस्तान के लिए करो यां मरो वाला मैच, कड़ी टक्कर देगा अफगानिस्तान सबसे पहले चेक जारी करने वाले के खाते में भरी गई राशि ना हो और आप उससे ज्यादा चेक पर अमाउंट भर देते हैं। अगर कोई चेक एक्सपायर हो गया है और उसे जारी कर दिया जाता है तो तक भी चेक बाउंस हो जाता है। कई बार खाता संख्या मिलान न होने पर चेक डिसआॅनर हो जाते हैं। कटे चेक भी बैंक द्वारा बाउंस कर दिया जाता है। चेक जारी करने वाले द्वारा पेमेंट रोकने की वजह से भी चेक को बाउंस कर दिया जाता है। चेक बाउंस होने के बहुत से कारण हो सकते हैं और कारण के आधार पर ही पेनेल्टी लगती है। निगोशिएबल इंट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत एक अपराध है। अपर्याप्त धनराशि वाले खाते के लिए चेक जारी करने के लिए भुगतानकर्ता पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके अलावा बैंक चेक बाउंस होने पर जुर्माना भी लिया जाता है जो सभी बैंकों के अलग होते हैं। अलग अलग राशि के लिए बाउंस चेक जारी करने पर बैंक अलग अलग पेनेल्टी लगाते हैं। READ MORE :Haryana News : हरियाणा सरकार ने 22 ग्राम पंचायतों को क्यों भेजा नोटिस, चेक करें लिस्ट में अपना नाम

कितने साल की होती है सजा(How long is the punishment)?

अगर चेक बाउंस हो जाता है तो आप पर मुकदमा चलता है। इसके बाद चेक को तीन महीने के अंदर दोबारा से जारी करने का आदेश जारी करने की अनुमति दी जाती है। अगर बाउंस चेक जारी कर दिया जाता है तो दो साल तक की सजा भी हो सकती है। इसके अलावा 6 महीने या एक साल की भी सजा हो सकती है। साथ ही अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अंतर्गत परिवादी को कंपनसेशन दिए जाने निर्देश भी दिया जाता है। कंपनसेशन की यह रकम चेक की राशि की दोगुनी हो जाती है।