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Govind Jaswal Success Story : रिक्शा चलाने वाले का बेटा बना IAS अफस, जाने सफलता की कहानी

 
Govind Jaswal Success Story :  रिक्शा चलाने वाले का बेटा बना IAS अफस, जाने सफलता की कहानी
IAS Success Story :  अपने प्रथम ही प्रयास में सिवल सेवा परिक्षा पास करने के बाद टेलीविजन पर दिए एक साक्षात्कार में गोविंद जससवाल ने उस घटना के बारे में बताया जिसने उनका जीवन बदल दिया है। जब वह ग्यारह वर्ष का था तब वह अमीर दोस्त के घर खेलने गया था। रिक्शा चलाने वाले का बेटा होने के कारण अपमान सहने के बाद उन्हक घर से बाहर निकाल दिया गया। Dainik Hariyan News, UPSE Success Story(New Delhi) :  गोविंद जससवाल को इस अपमान के महत्व के बारे में पता भी नहीं था। क्योकि बच्चे समझने में आमतौर पर असमर्थ होते हैं कि सामाजिक विभाजन आर्थिक असमानताओं से किस प्रकार प्रभावित होते हैं। हालाँकि, एक बुजुर्ग मित्र ने उन्हें जीवन की कठोर वास्तविकताओं से अवगत कराया और चेतावनी दी कि जब तक उन्होंने अपनी स्थिति में बदलाव नहीं किया, तब तक उन्हें जीवन भर लोगों से इसी तरह का व्यवहार मिलता रहेगा। Read Also : HKRN Bharti : हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत अध्यापकों के पदों पर निकली इतनी भर्ती, इस तारीख तक कर सकते हैं आवेदन जब गोविंद ने पूछा कि सेवा में सर्वोच्च पद क्या हो सकता है, तो उन्हें बताया गया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) देश में सर्वोच्च पद है। उसी क्षण, युवा लड़के ने एक दिन आईएएस अधिकारी बनने का निर्णय लिया। लेकिन रास्ते में कई चुनौतियाँ थीं।

यूपीएससी टॉपर गोविंद जयसवाल की पृष्ठभूमि:

गोविंद के पिता नारायण, एक सरकारी राशन की दुकान पर कम करते थे और साथ ही कुछ रिक्शा खरीदने और पट्टे पर लेने में सक्षम थे। एक समय परिवार को उचित स्तर की वित्तीय सुरक्षा प्राप्त थी। हालाँकि ,हालात बदतर हो गए और नारायण जो अपंग था और उसके पैर में घाव था और उसे अल्प कमाई से परिवार का पालन-पोषण करना पड़ा। बाधाओं के बावजूद भी अपनी तीन स्नातक बेटियों की करने में सक्षम था। पूरा परिवार अब गोविंद पर विशवास कर रहा था कि वह अपने चुने हुए क्षेत्र में सक्षम होगा। पढने से तुम्हे क्या मिलेगाा? जैसे उपहास करने वाले के सामने गोविंद जससवाल को पढाई करना मुश्किल लगता था। आपके पास दो रिक्शा हो सकते है। और अपने परिवार से बहुत समर्थन मिला है उन्होने गोविंद को दिल्ली जाने की इज्जात दी जिसे कुछ लोग आईएएस कोचिंग का मक्का मानते हैं, क्योंकि वह अपने एक कमरे वाले, बिजली कटौती वाले घर से अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ थे। Read More :Pawan Singh New Song : पवन सिंह के नये गाने ने लोगों को डांस करने पर कर दिया मजबूर, देखें वीडियों

आईएएस की ओर यात्रा:

अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति गोविंद का समर्पण और ईमानदारी अटूट थी। उन्होंने पैसे बचाने के लिए दिल्ली में गणित की ट्यूशन दी और खाना भी छोड़ दिया। उनके पिता ने उन्हें दिल्ली भेजने के लिए अपनी ज़मीन का एक टुकड़ा बेच दिया था। इसी बीच उनके पिता का पैर खराब हो गया और उन्हें रिक्शा चलाना बंद करना पड़ा, गोविंद को पता था कि वह किसी को निराश नहीं कर सकते। उसके पास सफल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वह जानता था कि उसके पास कोई और प्रयास नहीं है। ना तो में निचली सरकारी नौकरी के लिए जा सकता था क्योकि वे ज्यादातर तय होती है और न ही कोई व्यापार शुरू कर सकता था क्योकि उसके पास इसके लिए पैंसे थे और मेरे पास जो विकल्प था उसे मैने चुना और पढाई पर कड़ी मेहनत की ।