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High Court Decision : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पति से अलग होने पर क्या ससुराल में सकती है

 
High Court Decision :  हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पति से अलग होने पर क्या ससुराल में सकती है
High Court, Decision  :  आप सब जानते है कि पति और पत्नी के बीच में किसी छोटी बात को लेकर जगड़ा हो जाता है और ये जगड़ा बहुत बड़ा रूप ले लेता है और पति और पत्नी आपस में अलग होने कि बात करते है आज हम आप को बताएगें कि क्या पत्नी पति से अलग होकर ससुराल वाले घर में रह सकती है आइए जानते है हाईकोर्ट का फैसला। Dainik Haryana News.,High Court New  Decision (New Delhi) : पति और पत्नी के बीच में लड़ाई होने पर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी है कि क्या पति और पत्नी के बीच में लड़ाई होने पर ससुराल में रह सकते है। हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंस अधिनियम के तहत महिला को ससुराल में रहने का हाक है, भले ही वह वैवाहिक अधिकीरों की बहाली के लिए दाखिल पति की याचिका का विरोध कर रही है। इस मामले कि सुनवाई के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि ससुराल में निवास पाने का अधिकार हिंदू विवाह अधिनियम के तहत उत्पन्न होने वाले किसी भी अधिकार से अलग है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने महिला के सास-ससुर की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब बहू उनके बेटे के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है तो उसे मकान में रहने का भी कोई अधिकार नहीं है. Read Also : New Electric Scooter : मार्केट में तहलका मचाने आ रहा है धाकड़ इलेक्ट्रिक स्कूटर, इन स्कूटर को देगा टक्कर

कोर्ट में दोनों पक्षों ने दाखिल कर रखे हैं 60 मुकदमे:

याचिकाकर्ता ने बताया था कि उनकी बहू ने विवाद के बाद सितंबर 2011 में अपना ससुराल छोड़ दिया था. याचिकाकर्ता ने कहा था कि दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ 60 से अधिक दीवानी मुकदमे दायर किए गए हैं. इनमें से एक मामला महिला ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत दायर किया था और कार्यवाही के दौरान महिला ने संबंधित संपत्ति में निवास के अधिकार का दावा किया था. मामले में निचली अदालत ने महिला की मांग को स्वीकार करते हुए कहा था कि वह मकान में पहली मंजिल पर रहने (निवास करने) की हकदार है. इस आदेश को सेशन कोर्ट ने भी सही ठहराया. इसके खिलाफ सास-ससुर दिल्ली हाईकोर्ट चले गए, जहां उन्होंने कहा कि बहू ने साथ रहने से इनकार कर दिया है और वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए दाखिल याचिका का विरोध किया है. जब वह उनके बेटे के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है तो उसे मकान में रहने का भी अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया. Read More : State Road Transport Corporation Bharti 2024 : राज्य सड़क परिवहन निगम में बिना परीक्षा के नौकरी पाने का मौका, 10वीं पास युवा करें आवेदन

निवास का अधिकार और अधिकारों से अलग:

जास्टिटस चंद्रधारी सिंह ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दंपति की याचिका में निचली अदालत के घरेलु हिंस अधिनियम के तहत महिला को ससुराल में घर में रहने का अधिकार दिए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत निवास का अधिकार, हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत उत्पन्न होने वाले किसी भी अधिकार से अलग है।