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High Court Decision On Check Bounce : चेक बाउंस को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, चेक द्वारा लेनदेन करने वाले जान लें जरूर

Check Bounce Update : आज डिजिटल पेमेंट का जमाना है। सब घर बैठे अपने मोबाइल से ही पैसों का लेनदेन करते हैं। लेकिन बहुत से लोग आज भी मौजूद हैं जो चेक से लेनदेन करते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो हाईकोर्ट ने चेक बाउंस को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। जानने के लिए बने रहें हमारे साथ। 
 
High Court Decision On Check Bounce : चेक बाउंस को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, चेक द्वारा लेनदेन करने वाले जान लें जरूर

Dainik Haryana News,High Court Decision (ब्यूरो): चेक बाउंस के हर रोज बहुत से मामले आते हैं। हर कोई अपनी सफाई देकर मामले को छुपाने की सोचता है, जिसकी वजह से मामला काफी दिनों तक चलता रहता है। इसी मामले को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट ने चेक बाउंस को लेकर फैसला सुनाया है। इलाबाद हाईकोर्ट ने दो लाख रूपये के चेक बाउंसिंग के एक केस में समझौते के आधार पर आरोपी की दोषी और एक साल की सजा को खारिज कर दिया है।

साल 2020 से ही वह सजा काट रहा था। यह आदेश जस्टिस सीडी सिंह की बेंच ने ऋषि मोहन श्रीवास्तव की अर्जी पर पारित किया। अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही हाई कोर्ट ने पहले एक रिवीजन याचिका खारिज कर दी थी, किंतु न्यायहित में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अर्जी को सुना जा सकता है। इस मामले में पक्षकारों को तकनीकी आधार पर यहां न सुनकर सुप्रीम कोर्ट भेजने का कोई औचित्य नहीं है।

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ये था मामला:

ऋषि श्रीवास्तव ने बिजनेस के सिलसिले में अभय सिंह को 1-1 लाख रूपये के दे चेक दिए थे। चेक बैंक में लगाते ही बाउंस हो गई और फिर साल 2016 में अभय ने अदालत में एनआई एक्ट(NI Act) की धारा 138 के तहत मुकदमा को दर्ज किया। अदालत ने ऋषि पर 29 नवंबर 2019 को फैसला सुनाते हुए एक साल की सजा और तीन लाख रूपये का जुर्माना लगाया था। अदालत ने 14 दिसंबर 2020 को इसे खारिज कर दिया गया और हाईकोर्ट में आपराधिक रिवीजन दायर किया गया। हाईकोर्ट में भी इसे मेरिट पर सुनवाई करके 18 दिसंबर 2020 को खारिज कर दिया गया था। जब उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने अभय को रुपये देकर समझौता कर लिया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पेश की।

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वकील ने कही ये बात :

एनआई एक्ट(NI Act) के तहत किसी भी स्तर पर समझौता किया जा सकता है, इसलिए सजा को समझौते को देखते हुए खारिज कर दिया गया। सरकारी वकील ने याचिका की दलील को कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग बताते हुए उसका विरोध किया है। परिस्थितियों व कोर्ट की नजरों के आधार पर जस्टिस सीडी सिंह ने कहा कि एनआई एक्ट(NI Act) के तहत समझौता किसी भी स्तर पर किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया है और याची को सुनायी गई सजा व जुर्माने को खत्म कर दिया है।