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Indian Railway : 63 करोड़ के घाटे में क्यों चल रही है ये ट्रेन, हर रोज इतनी सीटें क्यों रह जाती हैं खाली?

 
Indian Railway : 63 करोड़ के घाटे में क्यों चल रही है ये ट्रेन, हर रोज इतनी सीटें क्यों रह जाती हैं खाली?
Railway News : आज हम आपको एक ऐसी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं जो 63 करोड़ के घाटे में चल रही है। एक बार तो ये सुनकर आपको भरोस नहीं होगा कि ये ट्रेन इतने घाटे में चल रही है। लेकिन ये सच है। तो चलिए जानते हैं कौन सी ऐसी ट्रेन है जो इतने घाटे में चल रही है और क्यों। Dainik Haryana News,Indian Railway Latest News(चंडीगढ़): इंडियन रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जहां से सरकार को हर रोज करोड़ों की कमाई होती है। लेकिन कई ट्रेन ऐसी भी हैं जो घाटे में चल रही है और सरकार को नुकसान हो रहा है। ऐसी ही ट्रेन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो फिलहाल 63 करोड़ के घाटे में चल रही है। आइए जानें इसे ट्रेन के बारे में। तीन साल पहले ही सरकार ने तेजस ट्रेन का संचालन प्राइवेट ऑपरेटर्स के हाथों में सौंपा था। लेकिन यह सफल नहीं रहा है और तेजस ट्रेन घाटे में चल रही है। READ ALSO :Weather Update: मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट,आज शाम से बदलने वाला है इनमें जिलों में मौसम

ट्रेन के फेरे किए गए कम:

दिल्ली से लखनऊ और मुंबई से अहदाबाद के लिए तेजस ट्रेनों का संचालन सरकार करती है जो अब प्राइवेट कंपनियों के हाथ में है। दिल्ली से लखनऊ वाया कानपुर सेंट्रल चलने वाली तेजस ट्रेन इस समय 27.52 करोड़ रूपये के घाटे में चल रही है। इन ट्रेनों में यात्रियों ने सफर को काफी कम कर दिया है और रेल की बहुत सी सीटें खाली जाती हैं। पहले इस ट्रेन को सप्ताह में 6 दिन चलाया जाता था लेकिन अब इसे केवल 4 ही दिन चलाया जाता है। इसके अलावा इसके फेरे भी कम कर दिए गए हैं। ट्रेन में हर रोज 200 से 250 सीटें ऐसी हैं जो खाली जाती हैं।

सीट खाली रहने के कारण :

सबसे पहला कारण जिसकी वजह से सीट खाली रहती हैं वो ये कि तेजस से पहले राजधानी और शताब्दी चलती हैं। दोनों ही ट्रेनों में यात्रियों को कमाल की सुविधाएं मिलती हैं जिन्हें यात्री खोना नहीं चाहते हैं। तेजस में किराया भी काफी ज्यादा है इन दोनों ही ट्रेनों के मुकाबले। अगर इन दोनों ट्रेनों में टिकट नहीं मिलता है तो ही लोग तेजस की टिकट लेते हैं। इस नुकसान को देखते हुए सरकार ने किसी भी दूसरी ट्रेन को प्राइवेट कंपनी को देने से अभी के लिए मना कर दिया है। साल 2019 से 2022 के बीच में यात्रियों की संख्या कम होने की वजह से इस पांच बार अस्थायी रूप से बंद भी किया जा चुका है। READ MORE :IND vs Ban Live: आज भारत को मिलने वाली है बांग्लादेश से कड़ी टक्कर लखनऊ-नई दिल्ली रूट पर इस ट्रेन को 2019-20 में 2.33 करोड़ का फायदा हुआ. इसके बाद कोरोना के दौरान 16.69 करोड़ रूपये का घाटा देखने को मिला है और 2022 में ये घटा 8.50 करोड़ का हो गया है। अहमदाबाद-मुंबई और लखनऊ-दिल्ली तजस ट्रेन का संचालन करने की जिम्मेदारी मिली है। तीन साल में दोनों ही ट्रेनों का घाटा 62.88 करोड़ रूपये जा चुका है। आईआसीटीसी का कहना है कि कोरोना काल में लंबे समय तक ट्रेन का संचालन बंद रहने की वजह से रेलवे को किराया दिया गया जिसकी वजह से ट्रेन नुकसान में चल रही है। उम्मीद लगाई जा रही है कि आगे आने वाले समय में इसकी भरपाई कर दी जाएगी।