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Land Occupation : इतने साल मकान में रहने के बाद किरायेदार का हो जाता है कब्जा, जानें सुप्रीम कोर्ट का फैसला

 
Land Occupation : इतने साल मकान में रहने के बाद किरायेदार का हो जाता है कब्जा, जानें सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Land Occupation Rules : शहरों में लोग मकान को किराए पर दे देते हैं और पैसा कमाते हैं। वहां पर लोग अपने मकान के कुछ हिस्से को किराए पर चढ़ा देते और सालों साल तक किराएदार वहां रहते हैं। ऐसे में कई सालों तक रहने के बाद लोग उस मकान पर कब्जा कर लेते हैं। आइए जानते हैं कितने साल रहने के बाद मकान पर किराएदार का कब्जा हो जाता है। Dainik Haryana News,Land Occupation Rules Update(चंडीगढ़): शहरों में लोग पैसे कमाने के लिए अपने मकान को किराए पर चढ़ा देते हैं। कई बार मालिक किराए पर दिए अपनी प्रोपर्टी की सुध नहीं लेते हैं। इनके कुछ मालिक ऐसे होते हैं जो अपने काम से बाहर चले जाते हैं और कई सालों तक वापस नहीं आते हैं। बस उनके पास किराये के पैसे हर महीने पहुंच जाते हैं। लेकिन ऐसा होता है कि कई सालों तक मकान मालिक घर नहीं आ पाते हैं और किरायेदार वहां पर कब्जा कर लेते हैं। क्या आप जानते हैं कि अगर किराएदार प्रोपर्टी पर 12 सालों तक रह जाते हैं तो वो उस प्रोपर्टी पर कब्जे का दावा कर सकते हैं। READ ALSO :Pradhan Mantri Awas Yojana : प्रधानमंत्री आवास योजना की नई लिस्ट जारी, सिर्फ इन लोगों को सरकार दे रही 1.5 लाख रूपये

जानें कब होता है प्रोपर्टी पर कब्जा?

प्रतिकूल कब्जा इसके अनुसार अगर कोई किराएदार 12 सालों तक मालिक के घर में रह जाता है तो उस पर उसका कब्जा हो जाता है। माकान मालिक की और से 12 सालों के बीच में किराएदार पर किसी तरह की कोई रोक नहीं की गई हो। किराएदार प्रॉपर्टी डीड,पानी बिल, बिजली बिल जैसी चीजें सबूत के तौर पर पेश कर सकता है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी अपना फैसला सुना चुके हैं और कहा गया है कि 12 सालों तक अगर किसी भी तरह की रोक टोक नहीं होगा तो वो जमीन का मालिक बन सकता है और कब्जे के लिए दावा किया जा सकता है। कोर्ट का यही कहना है कि अगर 12 सालों तक कोई भी अपना मालिकाना हक नहीं जताता है तो उसे पर वहां रहने वाले लोगों का ही कब्जा माना जाता है। लेकिन कोर्ट का ये फैसला सिर्फ निजी जमीन पर ही लागू होता है सरकारी जमीनों पर ये फैसला लागू नहीं होता है।

साल 2014 का फैसला बदला :

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था उसे बदला गया है। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 2014 के फैसले को पलटते हुए कहा कि अगर कोई किसी जमीन पर दावा नहीं करता है और किराएदार 12 साल से अगर लगातार जमीन पर रहता है तो वही जमीन का मालिक बन जाता है। साल 2014 में कोर्ट का कहना था कि प्रतिकूल कब्जे वाला व्यक्ति जमीन पर कब्जे नहीं कर सकता है। साथ ही कोर्ट का कहना है कि अगर मालिक अपनी जमीन को वापस लेना चाहता है तो वो किराएदार को देनी होगी। कोर्ट का कहना है कि जमीन के कब्जे से जुड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को 12 साल तक किसी जमीन पर अपना हर जताने का अधिकार देता है। अगर कोई जमीन विवादित है तो व्यक्ति उस पर अपना अधिकार जताते हुए 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अदालत से उसे वापस पा सकता है। READ MORE :Kisan Karj Mafi Yojana : किसानों की कर्ज माफी के लिए नई लिस्ट जारी, चेक करें अपना नाम लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत निजी संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा करने का समय 12 साल है और सरकारी जमीन पर ये समय 30 सालों का है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया 12 साल तक जमीन पर कब्जा बरकरार रहने और मालिक की ओर से आपत्ति नहीं जताने की स्थिति में वो संपत्ति कब्जा करने वाले व्यक्ति की हो जाएगी. अगर कब्जा करने वाले को जबरदस्ती से बेदखल किया जाता है तो वो 12 साल के अंदर मुकदमा कर सकता है। वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी से आप किसी संपत्ति के मालिक नहीं बन सकते. जैसे अपना घर किराए पर देते समय 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवाएं. हालांकि 11 महीने बाद रिन्यू किया जा सकता है. इससे फायदा ये होगा कि ब्रेक आ आएगा. ब्रेक आ जाने से किराएदार कब्जा का दावा नहीं कर पाएगा.