Kisan News : जैसा की आप जानते हैं बारिश और बाढ़ से खराब फसलों के लिए सरकार मुआवजा दे रही है जिसके लिए पटवारी गांव की खराब फसलों की गिरदावरी करते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, सरकार ने फैसला लिया है कि गांव के कुछ लोग ही इस काम को करेंगे जिसके लिए उनको पैसे भी मिलेंगे। आइए खबर में जानते हैं कौन लोग करेंगे फसलों की गिरदावरी।
Dainik Haryana News : MP News (नई दिल्ली): प्रदेश की सरकार ने फैसला लिया है कि अब से गांव के लोग ही फसलों की गिरदावरी करेंगे और इस काम के लिए उनको सरकार की और से पैसे दिए जाएंगे। दरअसल, ये फैसला मध्य प्रदेश की सरकार ने लिया है जो पटवारी परीक्षा में हुए धोखे ने मध्य प्रदेश सरकार को सुर्खियों में ला दिया है। मध्य प्रदेश के किसानों का मानना है कि पटवारियों द्वारा बिना सर्वे किए ही गिरदावरी की जा रही है. इसलिए किसान कह रहे हैं कि सरकार सारा ऐप में कुछ ऐसा सिस्टम करे जिससे रिकॉर्ड वास्तविक रूप से दर्ज किया जा सके ताकि किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी ना हो सके। वहीं इससे कोई भी किसान फर्जी फसल बताकर प्राकृतिक आपदा पर राहत राशि और गलत बीमा नहीं ले पांएगे। इसलिए किसानों की परेशानी सुनकर सरकार ने फैसला लिया है कि उनकी फसलों का वो अपने आप ही गिरदावरी करेंगे। फोन में ऐप के जरिए ही वो अपने काम को पूरा करेंगे।
READ ALSO :Success Story: युवा ने एक साथ दो बड़ी परीक्षाओं को पास कर लिख दी सफलता की कहानी मोदी सरकार(Modi Government) का कहना है कि फसल की गिरदावरी हर खेत हर फसल रिकॉर्ड करने के लिए गांव के ही व्यक्ति को अस्थाई रूप में सर्वेयर बनाया जाएगा जिसके बाद रिकॉर्ड में किसी तरह की कोई गड़बड़ नहीं होगी। इस काम को करने के लिए उनको हर खेत के 10 रूपये मिलेंगे।
पायलेट प्रोजेक्ट होगा शुरू :
अभी की बात की जाए तो इस प्रोजेक्ट में नीमच और सिवनी जिले में शुरू किया गया है। अगर इन दोनों जगह पर पायलेट प्रोजेक्ट सफल होता है तो बाकि के जिलों में भी इसे लाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत सभी 52 जिलों के 53 हजार गांवों के करीब 80 लाख किसानों के खेतों में होने वाली फसलों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा. इसे लेकर भू-अभिलेख(
Land record) ने सभी जिलों के कलेक्टरों के साथ भी बात की है।
क्या होती है गिरदावरी :
READ MORE :Succecc Story : देखिए, शादी में मिली भैंस ने कैसे बदल दी इस महिला की जिंदगी, बना दिया करोड़पति किसानों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए खेत का रकबा और होने वाली फसल को आधार बनाया जाता है। इसके लिए हर खेत की गिरदावरी होती है। इसमें इस बात की जांच की जाती है कि खेत में रबी और खरीफ और अन्य सीजन में क्या फसल ली गई है इन्हीं चीजों के बारे में रिकॉर्ड सरकार को भेजे जाते हैं।
साल में तीन बार किया जाएगा आंकलन :
आपकी जानकारी के लिए बता दें फसलों की गिरदावरी साल में तीन बार की जाएगी जो मोबाइल ऐप के जरिए ही की जाएगी।इसका उपयोग फसल के पैदावार, फसल बीमा और अन्य योजनाओं में किया जाएगा. जो भी सर्वेयर होगा वो खेत के बीच में खड़ा होकर फसल की फोटो लेकर पटवारी को भेजेगा।जांचकर्ता की होगी नियुक्ति मौसम के अनुसार हर साल 20 प्रतिशत गांवों का चयन सिस्टम के द्वारा किया जाएगा। इसी के तहत पांच सालों तक गांवों की जांच का कार्य पूरा किया जाएगा।
गांव के लोगों को मिलेगा रोजगार :
सरकार के इस फैसले से गांव के लोगों को भी रोजगार मिलेगा और 53 हजार गांवों को एक निश्चित अवधि से रोजगार मिलेगा जिससे उनको आर्थिक रूप में मदद मिलेगी। प्रदेश में 19 हजार से अधिक पटवारी हैं जो सर्वे करने वाले के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे.
READ MORE :Succecc Story : देखिए, शादी में मिली भैंस ने कैसे बदल दी इस महिला की जिंदगी, बना दिया करोड़पति गिरदावरी ऑनलाइन होने से पारदर्शिता रहेगी भू-अभिलेख, आयुक्त, संजय गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार के इस प्लान के अनुसार सिवनी और नीमच जिले को गिरदावरी के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है. इसके बाद और जिले शामिल किए जाएंगे. इनमें गांव के लोगों को ही गिरदावरी के लिए शामिल किया जाएगा। ऐसा करने से सारा ऐप में जो भी गड़बड़ होती थी उसकी कोई आशंका नहीं रहेगी।