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Supreme Court Decision : शादी के 60 साल बाद पति के तलाक मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला
 

Divorce Case :  आजकल तलाक के मामले बहुत सामने आ रहे है। हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले तलाक के बारे में कहा कि भारतीय समाज में विवाह को एक पवित्र बंधन माना गया हैं। इसलिए विवाह के अपूरणीय विघटन के आधार पर तलाक को मंजूरी नहीं दी जा सकती। आइए जानते है कोर्ट के इस फैसले को विस्तार से
 
 
Supreme Court Decision : शादी के 60 साल बाद पति के तलाक मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला

Dainik Haryana News, Supreme Court Decision On Divorce Case ( New Delhi ) : हाल ही में तलाक का एक मामला सामने आया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय समाज में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता हैं, इसलिए शादी के अपूरणीय विघटन के आधार पर तलाक को मंजूरी नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने 89 साल के एक व्यक्ति की मांग को खारिज करते हुए यह फैसला दिया। इस व्यक्ति ने 82 साल की पत्नी से तलाक की मांग की थी।

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न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा है कि पत्नी ने 1963 से 60 सालों से अपने पूरे जीवनभर पवित्र रिश्ते को बनाए रखा। उन्होंने इन 60 सालों में अपने तीन बच्चों की देखभाल की और इस तथ्य के बावजूद पति ने उनके प्रति पूरी शत्रुता प्रदर्शित की। पत्नी ने अदालत को कहा है कि वह अभी भी पति की देखभाल के लिए इच्छुक और तैयार है। वह जीवन के इस पड़ाव पर पति को अकेला नहीं छोड़ना चाहती है। पत्नी ने कहा कि वह तलाकशुदा होने का कलंक लेकर नहीं मरना चाहती । 

पति की याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि समकालीन समाज में, इसे (तलाकशुदा होना) कलंक नहीं माना जा सकता है, लेकिन फिर भी हम प्रतिवादी (पत्नी) की भावना से चिंतित हैं। पीठ ने कहा कि ऐसे में पत्नी की इच्छा को ध्यान में रखते हुए इस मामले में तलाक को मंजूरी नहीं दी जा सकती। पीठ ने इसके साथ ही, पति की ओर से तलाक की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा कि यदि हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विवाह के पूरी तरह से विघटन के आधार पर तलाक को मंजूरी देते हैं तो यह पक्षकारों के साथ पूर्ण न्याय नहीं करना, बल्कि प्रतिवादी के साथ अन्याय करना होगा।

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