Dolphin Death : अमेजन नदी में मिले 120 डॉल्फिन मछलियों के शव, मौत की वजह जान हैरान हुए लोग
Oct 3, 2023, 09:09 IST
Dolphin Death In Amazon River : अभी अभी सूचना मिली है कि अमेजन नदी में 120 डॉल्फिन के शव पाए गए हैं। सभी को नदी से बाहर निकाल लिया गया है और मौत की वजह वैज्ञानिक पता कर रहे हैं। आइए खबर में जानते हैं किस वजह से हुई इन मछलियों की मौत। Dainik Haryana News,Dolphin Death News(चंडीगढ़): नदी में पिछले एक सप्ताह से डॉल्फिन मरी हुई मिल रही हैं। एक ही सप्ताह में 120 मछलियां मिल चुकी हैं जो मरी हुई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि नदी में जलस्तर कम होने की वजह और ऑक्सिजन का लेवल कम हुआ है। इसके साथ ही तापमान में बढ़ोतरी होने की वजह से भी डॉल्फिन की मौत हुई है क्योंकि डॉल्फिन ज्यादा गर्मी को सहन नहीं कर पाती हैं। READ ALSO:एक Pimple ने ली लड़की की जान, आप भी हो जाएं सावधान डॉल्फिन की आबादी काफी कम हो रही है, बहुत सी प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ अमेजन नदी में ही पाई जाती हैं जैसे गुलाबी रंग की डॉल्फिन, पहले भी सांस ना ले पाने की वजह से हजारों डॉल्फिन मारी गई थी और अब फिर से यही वजह बताई जा रही है। डॉल्फिन का प्रजनन धीमी गति से हो रहा है जिसकी वजह से विलुप्त होने का खतरा बढ़ रहा है। मारी गई मछलियों का पास्टमॉर्टम किया जा रहा है और मौत की वजह जानकर उन्हें दफनाया जा रहा है। हालांकि, अभी तक वजह गर्मी, सुखा और ऑक्सिजन का लेवल कम होने के कारण ही मछलियों की मौत बताई जा रही है लेकिन जांच में इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं नदी में किसी तरह का इंफेक्शन तो नहीं है। पिछले ही गुरूवार को टेफे नदी से 80 डॉल्फिन के शव मिले थे क्योंकि वहां पर इंफेक्शन फैल गया था। टेफे का तापमान 39 डिग्री से भी ज्यादा पहुंच गया था, कुछ दिन पहले ही इन डॉल्फिन की मौत हुई है, क्योंकि गर्मी की वजह से बैक्टेरिया भी होते हैं। READ MORE :Rudraksh : रूद्राक्ष पहनने से मिलने हैं ये फायदे, आज भी करें धारण वैज्ञानिक मछलियों की मौत का कारण ग्लोबल वॉर्मिंग को बता रहे हैं। मारी जाने वाली डॉल्फिन में गुलाबी की संख्या ज्यादा है जो पहले ही 10 प्रतिशत पाई जाती हैं। गुलाबी मछलियों को ब्राजिल में बोटोस कहा जाता है। इसके अलावा नदी में ग्रे डॉल्फिन भी पाई जाती हैं, जिन्हें टकूक्सी कहा जाता है। ये दोनों की प्रजातियां IUCN की लिस्ट में शामिल की गई हैं यानी इन दोनों ही प्रजातियों का विलुप्त होने का खतरा है।