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Earth : पूर्व की और क्यों झुक रही है पृथ्वी? कौन है इसका जिम्मेदार

 
Earth : पूर्व की और क्यों झुक रही है पृथ्वी? कौन है इसका जिम्मेदार
Earth : रिपोर्ट का कहना है कि पृथ्वी एक बिंदू के समान घूमने वाले ध्रव के साथ बनी हुई है और हमारी धरती इसके चारों और घूमती है। यह एक ध्रुव गति है जो तब होती है जो पृथ्वी घुर्णी के धु्ररव की स्थिति क्रस्ट के सापेक्ष अलग होती है। ग्रह पर पानी का बंटवारा इसे प्रभावित करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पानी की भारी मात्रा को कैसे वितरित किया जाता है। पृथ्वी थोड़ा विभिन्न तरीके से घूमती है क्योंकि इसके चारों और पानी घूमता है । Dainik Haryana News :#Earth News(नई दिल्ली) : पृथ्वी पर हम रहते हैं और हमारे जीवन ही यहां पर है। हमारे जीवन के लिए जल जरूरी है और कहा जाता है कि जल के बिना हम जिंदा नही रह सकते हैं। ये बात सही भी है कि जल के बिना हम नहीं रह सकते हैं हम खाने के बिना कुछ समय के लिए रह सकते हैं लेकिन पानी के बिना हम नहीं रह सकते हैं। इन सब बातों का पता होने के बावजूद भी हम लापरवाही कर रहे हैं। सुचना मिल रही है कि इंसानों ने पृथ्वी से पानी निकाल निकालकर पृथ्वी को पूर्व की और झका दिया है। पृथ्वी पर 70 प्रतिशत पानी है जिसके बाद भी इंसान ऐसी हरकत कर रहा है। आइए खबर में जानते हैं किस वजह से पृथ्वी का झुकाव पूर्व की और हो गया है। READ ALSO :Chanakya Niti : जवान होते ही लड़कियां करती हैं ये काम, आप भी जरूर जानें

इसलिए झुकी पृथ्वी :

बताया जा रहा है जियोफिलिकल रिसर्च लेटर्स से पता चला है कि इंसान ग्राउंडवॉटर पंपिग कर रहे हैं जिससे 20 सालों से भी कम समय में पृथ्वी 4.36 सेंटीमीटर हर साल की स्पीड से 80 सेंटीमीटर पूर्व की और झुक गई है। पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान में फैले प्रभावों के साथ लघु-प्रारूप और उच्च-प्रभाव अनुसंधान पर रिपोर्ट प्रकाशित करती है। जलवायु मॉडल के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि लोगों ने 2150 गीगाटन भूजल निकाल लिया था जोकि 1993 से 2010 तक समुद्र के स्तर में 6 मिलीमीटर यानि 0.24 इंच से अधिक वृद्धि के बराबर था। रिपोर्ट का कहना है कि पृथ्वी एक बिंदू के समान घूमने वाले ध्रव के साथ बनी हुई है और हमारी धरती इसके चारों और घूमती है। यह एक ध्रुव गति है जो तब होती है जो पृथ्वी घुर्णी के धु्ररव की स्थिति क्रस्ट के सापेक्ष अलग होती है। ग्रह पर पानी का बंटवारा इसे प्रभावित करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पानी की भारी मात्रा को कैसे वितरित किया जाता है। पृथ्वी थोड़ा विभिन्न तरीके से घूमती है क्योंकि इसके चारों और पानी घूमता है । READ MORE :हरियाणा CET की परीक्षा को लेकर चेयरमैन खदरी ने दिया बड़ा बयान

जानें अब तक कितना पानी निकला है?

इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राउंड वाटर का सबसे ज्यादा दोहन अमेरिका के पश्चिम इलाके और उत्तर पश्चिमी क्षेत्र और उत्तर पश्चिमी भारत में हुआ। यहां ना सिर्फ पानी का निकाला गया बल्कि रिडिस्ट्रिब्यूट किया गया। इससे पृथ्वी के रोटेशनल पोल के बहाव पर प्रभाव पड़ा है। मध्य अंकाक्षों से पानी के दोबारा विभाजन का घूमने वाले ध्रुव पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। मध्य अक्षांश पर पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर पश्चिमी भारत में सबसे ज्यादा पानी का पुनर्वितरण किया गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि जमीन से निकालकर जो पानी उपयोग में लिया जाता है और रिडिस्ट्रिब्यूट होता है, वह आखिर में समुद्र में पहुंच जाता है। फर्क सिर्फ इतना है कि वो पानी गंदा होता है और हमारी नंदियों को भी प्रदूषित करता है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के एक भूभौतिकीविद् की-वैन सेओ ने कहा कि पृथ्वी का घूर्णन धु्रव वास्तव में बहुत कुछ बदलता है। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु से संबंधित कारणों में भूजल का दोबारा विभाजन वास्तव में घूर्णी धु्रव के बहाव पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। उल्लेखनीय है कि 2016 में पृथ्वी के घूमने की स्थिति बदलने की पानी की क्षमता की खोज की गई थी। अब तक इन घूमने वाले बदलावों में भूजल के अहम योगदान की खोज नहंी की गई थी। अब एक नए अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं ने पृथ्वी के घूमने वाले ध्रुव के बहाव और पानी की गतिविधि में देख गए बदलावों को दर्ज किया। पहले तो सिर्फ बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों पर इसे लागू किया जाता था। अब भूतल के दोबारा विभाजन के विभिन्न परिदृश्यों को भी इसमें जोड़ा गया। READ MORE :Today Funny Jokes: अगर हंसने का मन है टेंशन को दूर करने का मन है तो आ जाइए हमारे साथ रिसर्चकर्ताओं के मुताबिक भूजल के दोबारा विभाजन के लिए 2150 गीगाटन पानी को शामिल गया गया है। इसके बाद मॉडल में उन चीजों को शामिल गया गया जो केवल देखे गए घु्रवीय बहाव से मल खाता था। इसके बिना मॉडल प्रति वर्ष 78.5 सेंटीमीटर यानि 31 इंच या 4.3 सेंटी मीटर यानि 1.7 इंच बहाव से दूर था। सेओं ने कहा कि मैं अजीब तरीके से घूमने के इस अस्पष्ट कारण को देखकर बहुत खुश हूँ। वहीं दूसरी ओर पृथ्वी का निवासी होने के नाते मैं यह देखकर चिंतित और हैरान हूँ कि भूजल को निकालने से समुद्र के स्तर में वृद्धि का यह एक मुख्य स्रोत है। बता दें कि दुनियाभर में जिस तेजी से ग्राउंडवाटर का उपयोग बढ़ा है, उससे पता चलता है कि तालाबों और झीलों को पुनर्जीवित करने में कोई भी पक्ष दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। शहरों में तो पोखरों को पाटकर वहां कालोनियों को बसा दिया गया है। बारिश के पानी को सहेजने का काम भी बड़े पैमाने पर नहीं हो रहा। जिससे भूजल का स्तर लगातार कम हो रहा है। इस रिसर्च से दुनिया के भविष्य के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं। आने वाले वर्षों में वैज्ञानिकों के लिए यह समझ पाना और भी आसान होगा कि भूजल के दोहन के कारण पृथ्वी किस तरह से रिएक्ट कर रही है। अभी तक पृथ्वी के 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुकने का पता चला है, क्या यह झुकाव भविष्य में और वृद्धि कर सकता है ऐसे कई सवालों के जवाब आने वाले समय में हमारे सामने आ सकते हैं।