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Father of Indian Cricket: महाराजा जाम साहेब रणजीत सिंह जी जाडेजा,टेस्ट क्रिकेट और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले प्रथम भारतीय

 
Father of Indian Cricket: महाराजा जाम साहेब रणजीत सिंह जी जाडेजा,टेस्ट क्रिकेट और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले प्रथम भारतीय
भारतीय क्रिकेट के पितामह: भारत में जिसने क्रिकेट को जन्म दिया। जिसकी वजह से आज भारत का क्रिकेट इतनी ऊंचाईयों को छु रहा है। उस महान वयक्ति के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। रणजी ट्रॉफी का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है। गुजरात में नवानगर रियासत के महाराजा रहे जाम साहेब रणजीत सिंह जी जाडेजा (Jam Saheb Ranjit Singh Ji Jadeja)पहले भारतीय थे जिन्होंने प्रोफेशनल टेस्ट मैच और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला। उन्हें अब तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजो में से एक माना जाता है। क्रिकेट की दुनिया में कई नए शॉट लाने का श्रेय उन्हें ही दिया गया है। क्रिकेट के इतिहास में बहुत से शाट के जन्म दाता वही हैं। उन्होंने बहुत से शाट जो आज बल्लेबाजी की ताकत बन चुके हैं उनके जन्म दाता रंणजीत सिंह ही हैं। Dainik Haryana News: First Indian Cricketer Play ODI Match(ब्यूरो): रणजीत सिंह(Ranjit Singh )जी का जन्म 10 सितम्बर 1872 को नवानगर राज्य के सदोदर नामक गाँव में जाडेजा राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम जीवन सिंह जी और दादा का नाम झालम सिंह जी था जो नवानगर के महाराजा जाम साहेब विभाजी जाडेजा के परिवार में से थे। जाम विभाजी की कोई योग्य संतान ना होने की वजह से उन्होंने कुमार रणजीत सिंह जी को गोद ले लिया और अपना उत्तराधिकारी बना दिया। लेकिन बाद में विभाजी के एक संतान होने की वजह से उत्तराधिकार को लेकर विवाद उतपन्न रणजीत सिंह का जीवन कई बहुत समय तक विवादों से घिरा रहा। कुमार श्री रणजीत सिंह(Ranjit Singh ) जी को राजकोट के राजकुमार कॉलेज में शिक्षा लेने के लिये भेजा गया। वहां स्कूली शिक्षा के साथ उनका क्रिकेट से परिचय हुआ। वो कई साल कॉलेज की क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। उनकी पढाई में योग्यता से प्रभावित होकर उन्हें आगे की पढ़ाई के लिये इंग्लैंड की कैम्ब्रिज़ यूनिवर्सिटी में पढ़ने भेजा गया। Read Also: Electricity Bills : हरियाणा सरकार ने इन लोगों के बिजली बिल किए माफ, क्या आपका नाम भी है लिस्ट में वहॉ पर रणजीत सिंह (Ranjit Singh )जी की रूचि क्रिकेट खेलने में बढ़ने लगी जिसकी वजह से वो शिक्षा पर ध्यान नही दे पाए। उन्होंने पूरी तरह क्रिकेट को अपना कैरियर बनाने का फैसला किया। रणजीत सिंह ने अपने खेल की शुरूआत कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की थी। इसके बाद वो इंग्लैंड में खेले और अपने पहले ही मैचों में 77 तथा 150 रन की पारी खेल डाली। काउंटी क्रिकेट में बल्ले से धमाल के बाद उन्हें इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम में चुन लिया गया और 1896 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रणजीत सिंह (Ranjit Singh )ने पहला टेस्ट खेला। इस मैच में उन्होंने 62 और 154 नाबाद की पारी खेली। उल्लेखनीय बात है कि इस टेस्ट की दूसरी पारी में रणजीत सिंह के बाद दूसरा सर्वाधिक स्कोर 19 रन था। बल्ले से उनके इस प्रदर्शन की न केवल इंग्लैण्ड बल्कि ऑस्ट्रेलिया में भी जमकर तारीफें हुई। Read Also: Multibagger Stock : 3 रूपये के इस शेयर ने निवेशकों की कर दी मौज, 300 रूपये से पार चल रहा आज उन्होंने लगभग चार साल क्रिकेट खेला। इसमें उन्होंने 15 टेस्ट में 44.95 की अवरेज से 2 शतक तथा 6 अर्ध शतक लगाकर 989 रन बनाए तो वहीं वनडे में 307 मैच खेले और 72 शतक तथा 109 अर्ध शतक बना कर की मदद से 56.37 की औसत से 24692 रन बनाए। उनकी बल्लेबाजी औसत 1986 तक भी इंग्लैंड में खेलने वाले किसी बल्लेबाज की सबसे बढ़िया औसत थी। हालांकि इस दौरान उन्हें नस्लभेद का भी शिकार होना पड़ा। लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें भारतीय होने के कारण राष्ट्रीय टीम में शामिल नही किया जाता था। उस वक्त अन्तर्राष्टीय क्रिकेट सिर्फ इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच में खेला जाता था। एक भारतीय को अंग्रेज़ो के साथ क्रिकेट खेलने के लायक नही समझा जाता था। लेकिन रणजीत सिंह जी अपने अच्छे खेल की वजह से दर्शको में इतने लोकप्रिय हो गए थे की अंग्रेज खेल प्रशासक उन्हें ज्यादा दिन अनदेखा नही कर सके। Read Also: Indian Railway : ट्रेन में लेनी चाहिए ये टिकट, सुविधाओं के साथ लगता है इतना कम किराया नवानगर में घरेलू जिम्मदारियों और उत्तराधिकार में विवाद के चलते उन्हें भारत लौटना पड़ा। इसके कारण उनका क्रिकेट कॅरियर प्रभावित हुआ और लगभग खत्म सा हो गया। उन्होंने अंतिम बार 1920 में 48 साल की उम्र में क्रिकेट खेला। लेकिन बढ़े हुए वजन और एक आंख में चोट के चलते वे केवल 39 रन बना सके। निशानेबाजी के दौरान उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी। रणजीत सिंह (Ranjit Singh )जी को अब तक के विश्व के सर्वकालिक महान बल्लेबाज में से एक माना जाता है। विस्डन पत्रिका ने भी उन्हें 5 सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियो में जगह दी थी। नेविल्ले कार्डस ने उन्हें "midsummer night's dream of cricket" कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि जब रणजीत सिंह खेलने के लिये आए तो जैसे पूर्व दिशा से किसी अनजाने प्रकाश ने इंग्लैंड के आकाश को चमत्कृत कर दिया। Read Also: Chole-Kulche Recipe : जानिए, घर पर आसान तरीके से छोले-कुलचे बनाने की रेसिपी अंग्रेजी क्रिकेट में वो एक नई शैली लेकर आए। उनको अब तक क्रिकेट खेलने वाले सबसे मौलिक stylist में से एक के रूप में जाना जाता है। उनके समय के क्रिकेटर CB Fry ने उनकी विशिष्टता के लिये उनके जबरदस्त संतुलन और तेजी जो एक राजपूत की खासियत है को श्रेय दिया है। साल 1933 में इस महान क्रिकेटर का देहांत हो गया। जिस रिकार्ड को बनाने के लिए आज कल के बल्लेबाज इतनी मेहनत कर रहे हैं वो रणजीत सिंह बहुत पहले ही बना चुके हैं। क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए पटियाला के महाराजा भूपिन्दर सिंह ने उनके नाम पर 1935 रणजी ट्रॉफी की शुरूआत की।