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Success Story : गरीबी की मार भी नहीं रोक पाई इस युवा के सपनों की उड़ान को

 
Success Story : गरीबी की मार भी नहीं रोक पाई इस युवा के सपनों की उड़ान को
UPSC Story : IAS बनने के लिए बहुत ही मेहनत करनी पड़ती है। आज हम आपको एक एसी युवा की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसने गरीबी की मार को सहते हुए छोटी सी उर्म में ही अपनी पढ़यई का खर्च उठाना शुरू किया और सफलता पाने तक लगी रही। गरीब परीवार मे जन्मी उम्मुल ने पांचवी तक की पढ़ाई करने के बाद आठवी तक पहुंची। Dainik Haryana News : #IAS Success Story(चंडीगढ) : जैसा की आप जानते हैं की परीक्षा को हर साल लाखों लोग UPSC देने के लिए आते हैं। UPSC सबसे कठीन परीक्षाओं में से एक परीक्षा मानी जाती है। हर रोज लाखों लोग दिन रात एक करते हैं और अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश मे जुट जाते हैं। कुछ लोगों की मेहनत रंग लाती है और उनके सपने पूरे हो जाते हैं लेकिन जिनकी मेहनत और किस्मत में कमी होती है वो लोग फिर से कोशिश में जुट जाते हैं। लेकिन किसी ने ठीक ही कहा है मेहनत कभी जाया नहीं जाती है। ऐसी एक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं जिसने गरीबी के बाद भी अपना काम और पढ़ाई नहीं छोड़ी और आज वो अपने सपनों को पूरा करते हुए एक आईएएस अफसर बने हैं। आइए खबर में जानते हैं उनकी सफलता की कहनी। READ ALSO : 8th Pay Commission : 8वें वेतन आयोग को लेकर अपडेट आया सामने, सरकार लेने जा रही ये फैसला IAS बनने के लिए बहुत ही मेहनत करनी पड़ती है। आज हम आपको एक एसी युवा की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसने गरीबी की मार को सहते हुए छोटी सी उर्म में ही अपनी पढ़यई का खर्च उठाना शुरू किया और सफलता पाने तक लगी रही। गरीब परीवार मे जन्मी उम्मुल ने पांचवी तक की पढ़ाई करने के बाद आठवी तक पहुंची। इसके बाद से उनके मुश्किल सफर की शुरूआत होती है। जब वो आठवीं कक्षा मे थी तो उनकी माता का देहांत हो गया। आठवीं की पढ़ाई पुरी करने के बाद घर वालों ने आगे पढ़ाने से मना कर दिया। लेकिन उम्मुल ने आगे पढ़ने का फौला लिया और वो अलग झुग्गी मे रहने लगी। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए झुग्गी वाले बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। और अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने लगी। इसके बाद उम्मुल ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा ओर UPSC की पढ़ाई की। इसके बाद वो सीविल सेवा की तैयारी करने लगी। इन सब के बीच उम्मुल को एक साल तक पैरों से अपंगता का भी सामना करना पड़ा। लेकिन उनके सपनों के आगे सारी मुश्किलें हार मान गई। उम्मुल ने साल 2014 मे जापान की शुंजुकु डस्किन लीडरशिप टेÑनिंग( Japan's Shunjuku Dashkin Leadership Training) में ट्रेनर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। उनकी ये मेहनत रंग लाई और साल 2016 में सीएसई(CSE) की परीक्षा मे अपने पहले ही प्रयास मे 1001 अंक के साथ 420 वीं रैंक हासिल कर अपने सपने को पुरा किया। उम्मुल ने छोटी सी उर्म से ही अपनी पढ़ाई का खर्च निकालना शुरू किया था। और उनको लगातार प्रयास करती रही और एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई। ये थी उम्मुल की प्रेरणा से कहानी।