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UPSC Success Storty : घर की गरीबी को दूर करने के लिए बेटी बनी बिना कोचिंग के आईएएस

 
UPSC Success Storty : घर की गरीबी को दूर करने के लिए बेटी बनी बिना कोचिंग के आईएएस
IAS Divya : दिव्या का कहना है कि मैं जब 9 साल की थी मेरे पिता जी का निधन हो गया था और मेरी मां ने काफी मुश्किलों का सामना कर तीन बच्चों को पढ़ाया है और हमें इस काबिल बनाया है। मैंने उसी दिन से सोच लिया था कि मैं अपनी मां को प्राउड फील कराने के लिए आईएएस(IAS) बनुगी और अपनी मां को वो सब दिलाउंगी जिसपर उसका हक है और मैने कर दिखाया। Dainik Haryana News :# IAS Success Story (नई दिल्ली) : आज हम आपको एक ऐसी आईएएस की कहानी बताने जा रहे हैं जो एक छोटे से गांव में रहती थी। अपनी माता, बहन और छोटे भाई के साथ। उसके पास ना कोई लैपटॉप था ना कोई वाई फाई और ना ही कोई कोचिंग सेंटर जाने का पैसा। जी हां, फिर भी दिन रात मेहनत करी और अपने सपनों को पूरा कर दिव्या आईएएस बनी। दरअसल, दिव्या( IAS Divya)ने स्कूल में एक एसडीएम(SDM) को देखा और तभी से सोच लिया कि मुझे भी आईएएस ही बनना है। दिव्या( IAS Divya)  का कहना है कि मैं जब 9 साल की थी मेरे पिता जी का निधन हो गया था और मेरी मां ने काफी मुश्किलों का सामना कर तीन बच्चों को पढ़ाया है और हमें इस काबिल बनाया है। मैंने उसी दिन से सोच लिया था कि मैं अपनी मां को प्राउड फील कराने के लिए आईएएस बनुगी और अपनी मां को वो सब दिलाउंगी जिसपर उसका हक है और मैने कर दिखाया। दिव्या का कहना है कि जब मैं स्कूल में थी वहां पर एक एसडीएम(SDM) आए और उनको इतना सम्मान मिला के मेरे दिल में भी वहीं सम्मान लेने की चाह उठी। READ ALSO : Electric Scooter पर मिल रही 25 हजार रूपये की छूट, आज ही कर लें खरीदारी उसी दिन से मैने भी सोचा के मैं भी एक दिन यही सम्मान लूंगी। दिव्य ने कहा कॉलेज जाकर यूपीएससी(UPSC) का पता चला और तैयारी शुरू कर दी। मैं कभी भी किसी फंक्शन में नहीं गई और कोचिंग के पैसे नहीं थे तो मैंने घर रहकर एक ही कमरे में तैयारी करनी शुरू कर दी। मेरी मां ने मुझे कभी घर का काम नहीं करने दिया। READ MORE : Electric Scooter Launch : एक पहिये वाला इलेक्ट्रिक स्कूटर मार्केट में मचा रहा तहलका, कीमत बस इतनी दिव्या का कहना है कि मैंने नेट से ही सब कुछ तैयारी करी है 12 के बाद मैंने सरकारी पीजी कॉलेज में गे्रजुएशन किसा और किताबों के खर्च के लिए पैसे नहीं थे तो मैं दो घंटे बच्चों को पढ़ा लेती थी। एनसीआरटी(NCRT) की किताबों से ही मैंने तैयारी करी। मैंने सबसे पहले तो यही सोचा था कि घबराना नहीं है और साल 2021 में ही मैंने पहला प्रयास किया और मेरी 438वीं रैंक आई उसके बाद साल 2022 में मैने दूसरी बार तैयारी करी और 105 रैंक हासिल किया। इस कड़ी मेहनत से मैं आज IAS हूं।