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UPSC Success Story : सोशल मीडिया से इतने दिन रही दूर, फिर आईएएस बन रचा इतिहास
 

IAS Success Story :  जैसा कि आप जानते है यूपीएससी की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए उम्मीदवार दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन कुछ ही बच्चें इस परीक्षा को पास कर पाते हैं। ऐसी ही आईएएस अंकिता की कहानी हम आपके सामने लेकर आए है जिसने इस परीक्षा को पास कर आईएएस का पद हासिल किया।

 
UPSC Success Story : सोशल मीडिया से इतने दिन रही दूर, फिर आईएएस बन रचा इतिहास

Dainik Haryana News, Success Story Of IAS Ankita Chaudhary ( New Delhi )  :  वैसे तो आपने बहुत से आईएएस और आईपीएस की कहानी सुनी होगी लेकिन आज हम एक ऐसी आईएएस की कहानी लेकर आए है जिसने यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना ली। हम बात कर रहे है अंकिता चौधरी की। अंकिता चौधरी काफी पहले से ही सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में आना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई इस बात को केंद्र में रखकर की। आइए जानते है अंकिता चौधरी के बारे में

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अंकिता चौधरी हरियाणा के रोहतक की रहने वाली है। पोस्ट गे्रजुएशन के बाद अंकिता ने पूरी तरह से सिविल सर्विसस देने का फैसला कर लिया। और सबकुछ छोड़कर वह इसी पर फोकस करने लगी। अंकिता इस मुकाम को हासिल करने के लिए मेहनत तो काफी लंबे समय से कर रही थीं पर साल 2019 में वह इस मुकाम को पा लेगी इस बात का पता नहीं था। रिजल्ट आने के बाद अंकिता को इस बात का यकीन नहीं हुआ कि वह सेलेक्ट हो गयी हैं। लेकिन अंकिता ने इस परीक्षा को पास ही नहीं किया बल्कि आॅल इंडिया रैंक 14 भी हासिल की थी। 

बचपन से थी पढ़ाई में होनहार

अंकिता बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई रोहतक के ही इंडस पब्लिक स्कूल से हुयी इसके बाद ग्रेजुएशन करने के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया. यहां के हिंदू कॉलेज से उन्होंने बीएससी की डिग्री हासिल की और फिर दिल्ली आईआईटी से ही एमएससी यानी पोस्ट ग्रेजुएशन किया. अंकिता काफी पहले से सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में आना चाहती थीं इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई इस बात को केंद्र में रखकर की. पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद अंकिता ने पूरी तरह से सिविल सर्विसेस देने का मन बना लिया था और सबकुछ छोड़कर वे केवल इसी पर फोकस करने लगीं.

दूसरी बार में हुआ सेलेक्शन

अंकिता ने पूरे दिल से प्रयास किया फिर भी पहली बार में उनका चयन नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने दोबारा कोशिश की और इस बार पिछली गलतियों से सीखते हुए उन सब कमियों को दूर किया जो पिछली बार रह गयी थीं. नतीजा यह हुआ की अंकिता का न केवल सेलेक्शन हुआ बल्कि वे टॉपर बनकर भी उभरीं. अपनी तैयारी के विषय में बात करते हुए अंकिता कहती हैं कि क्या करना है यह तो कुछ समय बाद हर कैंडिडेट को पता चल जाता है पर जरूरी यह भी है कि क्या नहीं करना है. अपने केस में बात करते हुए वे कहती हैं कि दो साल तक मैं जानती भी नहीं थी कि सोशल मीडिया किसे कहते हैं क्योंकि मेरे अनुसार यह ध्यान भटकाने का काम करता है. उन्होंने अपने फोन से सभी सोशल मीडिया एप हटा दिये थे.


 

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पिता का नाम किया रोशन


अंकिता के पिता सत्यवान एक शुगर मिल में एकाउंटेंट का काम करते हैं. अंकिता की इस सफलता पर वे फूले नहीं समाते. वे कहते हैं बेटी शुरू से पढ़ने में होनहार थी इसीलिए क्लास बारहवीं के बाद उसे स्कॉलरशिप मिल गयी. इस कारण उसकी पढ़ाई में कभी आर्थिक दिक्कतें नहीं आयीं. अंकिता की मां जेबीटी स्कूल में शिक्षिका के पद पर थी पर कुछ साल पहले एक सड़क हादसे में उनका देहांत हो गया था. अपनी सफलता का श्रेय अंकिता अपने परिवार को देती हैं जिन्होंने हमेशा उनका साथ दिया और एक छोटी जगह से होने के बावजूद कभी लड़की-लड़के में भेद नहीं किया. इसी का फल था कि अंकिता ने आगे बढ़कर निर्णय लिए और सफलता दर सफलता पायी.