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IPS Success Story : ऊंट गाड़ी चलाने वाले का बेटा बना अफसर, पढ़ें सक्सेस स्टोरी

 
IPS Success Story : ऊंट गाड़ी चलाने वाले का बेटा बना अफसर, पढ़ें सक्सेस स्टोरी
UPSC Success Story : आज हम आपको एक आईपीएम की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। यूपीएससी की परीक्षा भारत में सबसे कठिन मानी जाती है इसे हर साल लाखों बच्चे देने के लिए आते हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपनी मेहनत के दम पर सफलता हासिल की है। आइए जानते हैं सफलता की कहानी। Dainik Haryana News,UPSC Exam(चंडीगढ़): देश में लाखों लोगों का सपना होता है कि वो यूपीएससी की परीक्षा को पास करके आईपीएस और आइएएस बनना चाहते हैं। लेकिन इस दौड़ में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो पीछे रह जाते हैं वो फिर से इस दौड़ में दौड़ते हैं। बहुत से कम लोग ऐसे होते हैं जिन्हें सफलता मिलती है। नौकरी के पीछे लगन, मेहनत और त्याग होता है जिसके बाद ही सफलता मिलती है। READ ALSO :Sam Bahadur Box office Collection Day 6: एनिमल के आगे सैम बहादूर भी कर रही डटकर मुकाबला, इतनी कर चुकी कमाई आज हम आपको आईपीएस अधिकारी प्रेमसुख डेलू राजस्थान के बीकानेर जिले के निवासी हैं जो पहले 12 नौकरियां कर चुके हैं। उनके पिता जी ऊंट गाड़ी चलाते थे, उनका सिलेक्शन पटवारी से लेकर कांस्टेबल और तहसीलदार जैसे 12 पदों पर हुआ था। लास्ट में उनको अपना सपना पूरा करने का मौका मिला है और वो यूपीएससी की परीक्षा को पास करके आईपीएस की पोस्ट पर सिलेक्शन हुआ है।

पिता जी चलाते थे ऊंट गाड़ी :

ये आईपीएस राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले 'प्रेमसुख डेलू'(IPS Premsukh Delu) का जन्म एक सामान्य से किसान परिवार में हुआ है। उनके पिता ऊंट गाड़ी चलाते थे और उससे सामान ढोते थे. प्रेमसुख डेलू बचपन से ही अपने परिवार गरीबी से जंजाल से निकालना चाहते थे और उनका पूरा ध्यान पढ़ाई पर था। उनकी 10वीं तक पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में की और आगे की पढ़ाई बीकानेर के सरकारी डूंगर कॉलेज से की है और प्रेमसुख डेलू इतिहास से एमए किया है और उसके बाद गोल्ड मेडल्सिअ रहे हैं। पीजी के बाद इतिहास में यूजीसी नेट जेआरएफ परीक्षा को पास दिया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी 2010 में ग्रेजुएशन पास करने के बाद उसके भाई ने उन्हें प्रेरित किया।सबसे पहले पटवारी बने प्रेमसुख डेलू आईपीएस प्रेमसुख डेलू को सबसे पहले पटवारी की नौकरी मिली. इसके बाद राजस्थान ग्रामसेवक परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया. लेकिन उन्होंने तैयारी जारी रखी और राजस्थान की सहायक जेलर भर्ती परीक्षा न सिर्फ पास की बल्कि टॉपर रहे. READ MORE :SSC GD कांस्टेबल के इतने हजार पदों पर निकली भर्ती, इन युवाओं के मांगे गए आवेदन जेलर पद ग्रहण करते इसके पहले ही वजह राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर बन गए है। वह यूजीसी नेट परीक्षा पास करने के साथ बीएड भी कर चुके थे। अब उन्हें कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी मिल गई.इसके बाद उन्होंने यूपीएससी देने का फैसला लिया है और इसके बाद उनको सिलेक्शन राजस्थान पीसीएस परीक्षा के जरिए तहसीलदार पद पर हुआ।

तहसीलदार पर नौकरी करते हुए की तैयारी :

तहसीलदार जैसा बेहद व्यस्तता और जिम्मेदारी भरा पद संभालते हुए भी उन्होंने आईएएस बनने का सपना नहीं छोड़ा। वह ऑफिस ड्यूटी खत्म होने के बाद पढ़ते रहे. साल 2015 में दूसरे प्रयास में सूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कामयाबी मिली। उनको सिविल सेवा में उनको 170वीं रैंक मिली थी। उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली जिले में एसीपी के पद पर हुई.