Big Breaking : मौसम विभाग
(Weather Department) की और से जानकारी दी जा रही है कि अल नीनो को पूरी तरह से खारिज नही किया जा सकता है। सामान्य मानसून रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह आने वाली साल 2024 में खरीफ की फसलों को प्रभावित कर सकती है।
Dainik Haryana News :#PM Kisan Yojana (चंडीगढ) : भारत देश कृषि प्रधान देश है यहां पर आधे से ज्यादा लोग खेती करते हैं और गांवों में वास करते हैं। सरकार किसानों के लिए एक योजना लेकर आयी है जिसके तहत आपको काफी फायदा मिलेगा। गौरतलब है, मानसून में देरी होने की वजह से तिलहन फसलों की बुवाई में देरी हो रही है। अल नीनो की स्थिति के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है। तिलहन की बुवाई पिछले सप्ताह के आंकड़े देखे जाएं तो 4.1 हेक्टेयर रहा है जो पिछले साल 4.8 लाख हेक्टेयर था। आइए खबर में जानते हैं किसानों के लिए आया कौन सा लेटर।
के झुनझुनवाला ने लिखा लेटर :
के अजय झुनझुनवाला ने लेटर लिखा है और कहा है कि केरल में एक हफ्ते मानसून लेट है जिसकी वजह से फसलों की बुवाई में भी देरी हो रही है। अगर फसलों की बुवाई लेट होगी तो उत्पादन में कमी आएगी।
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मौसम विभाग
(Weather Department) की और से जानकारी दी जा रही है कि अल नीनो को पूरी तरह से खारिज नही किया जा सकता है। सामान्य मानसून रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह आने वाली साल 2024 में खरीफ की फसलों को प्रभावित कर सकती है। अजय ने किसानों की फसल को एमएसपी(MSP) पर खरीदने के लिए भी जोर दिया है। एसईए किसानों को एमएसपी का समर्थन देने के कदम का स्वागत करता है लेकिन फिर भी सरकार को एमएसपी(MSP) का बचाव करना ही चाहिए।
चेक करें मंडी भाव(Market Price) :
READ MORE : Reliance Industries Limited: मुकेश अंबानी और नीता अंबानी, सुंदर पिचाई और अंजलि पिचाई के साथ व्हाइट हाउस में स्टेट डिनर पर सूरजमुखी की फसल को एमएसपी(MSP) पर लेने के लिए कुछ दिन पहले किसानों ने धरना भी दिया था। मंडी में इसकी कीमत 6400 रूपये प्रति क्विेंटल है। लेकिन किसानों को इसका मूल्य काफी कम मिल रहा है। वहीं, रेपसीड का एमएसपी मंडी में 5450 रूपये प्रति क्विेंटल है। सरसों की कीमत हाल में 4800 के आस पास है लेकिन साल 2022 अक्टूबर में जब इसकी बुवाई हुई तो इसकी कीमत 7500 के करीब थी। इस बार 91.68 लाख टन खाद्य तेल को आयात किया गया है। खरीफ सत्र में सोयाबीन और रबी सत्र में सरसों के रकबे में कमी और तिलहन के उत्पादन में कमी देखी गई है। पिछले साल खाद्य तेल के आयात की बात की जाए तो वह 77.88 लाख टन था जो इस साल 18 फसदी ज्यादा हो गया है।