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Major Dhyanchand Success Story: मेजर ध्यानचंद जिन्हे हाकी का जादूगर भी कहा जाता था, आज तक नहीं मिला भारत रतन

 
Major Dhyanchand Success Story: मेजर ध्यानचंद जिन्हे हाकी का जादूगर भी कहा जाता था, आज तक नहीं मिला भारत रतन
Hockey wizard to Major Dhyanchand: मेजर ध्यानचंद जो भारत की हाकि का एक स्तंभ रहे। मेजर ध्यानचंद को हाकि का जादूगर भी कहा जाता था। मेजर ध्यानचंद के समय भारत को हाकी में हराने की हिम्मत शायद ही कोई रखता था। मेजर ध्यानचंद की हाकी से जब गेंद टकराती थी तो ऐसा लगता था कि उनकी हाकी से गेंद मानो चिपक ही गई हो। Dainik Haryana News: Major Dhyanchand's hockey career(चंडीगढ़): 3 ओलंपिक में भारत का झंडा लहराने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम खेलों का सबसे बड़ा पुरस्कार, मेजर ध्यानचंद अवार्ड का नाम उन्ही के नाम पर रखा गया है। इन दिनो नीरज चोपड़ा को मेजर ध्यानचंद अवार्ड से सम्मानित किया गया है। नीरज चोपड़ा जो हालहि में विश्व एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर लाए हैं। मेजर ध्यानचंद जैसे ही मैदान पर उतरते थे, वैसे ही मान लिया जाता था कि भारत की जीत पक्की है। मेजर ध्यानचंद की हाकी को कई बार चैक भी किया गया कहीं वो अपनी हाकी में कुछ ऐसा ना लगाकर आए हो कि गेंद उनकी हाकी से चिपक रही है। मेजर ध्यानचंद ने अपने देश के लिए बड़े-बड़े आफर को ठोकर मार दी। Read Also: Hisar : हिसार जिले के इस गांव के लोगों ने भेजा बिजली विभाग को अनोखा पत्र, जिसको सुनकर आप चौंक जाएंगे अब मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग उठ रही है। खेल जगत में सचिन तेंदुलकर को भारत रतन दिया गया है। बहुतों का कहना है कि हाकि को देश का राष्ट्रपति खेल बनाने में मेजर ध्यानचंद का बहुत बड़ा रोल है। मेजर ध्यानचंद ने 1928, 32, 36 के ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत भारत के प्रचम को लहराया। मेजर ध्यानचंद के खेल का लोहा पुरी दुनिया मानती थी। मेजर ध्यानचंद को पद्मभूषण से भी नवाजा गया था, लेकिन देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग बहुत समय पहले से ही उठ रही है।

कैसा था मेजर ध्यानचंद का होकी केरियर

मेजर ध्यानचंद को प्यार से उनके दोस्त चांद भी कहा करते थे, ऐसा इसलिए की मेजर ध्यानचंद चांद की रोशनी में बहुत ज्यादा तैयारी किया करते थे। मेजर ध्यानचंद ने 22 साल हाकी को दिए और 400 साल इंटरनैशनल गोल दागे। जब मेजर ध्यानचंद हाकी से अपना जादू दिखाते थे तो कभी उनकी हाकी में चुंबक लगे होने की बात कही जाती थी तो कभी गोंद लगे होने की बात के चलते उनकी हाकी को तोड़कर देखा जाता था। Read Also: Haryana Scheme : हरियाणा के इन लोगों को नहीं मिलेगा इस योजना का फायदा, जानें वजह एक वाक्य दौहराया गया है कि एक बार मेजर ध्यानचंद गोल नहीं कर पा रहे थे तो उनहोंने गोल पोस्ट के ज्यादा होने की आपती जताई, मेजर ध्यानचंद का ये दावा सही पाया गया था। गोल पोस्ट वाक्य में ज्यादा थी। मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर का सबसे अच्छा मैच 1933 के बेटन कप के फाइनल को बताया था। भारत ने 3 ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते और विरोधी टीमों को कभी 24-1 तो कभी 11-1 से मात दी थी। 3 दिसंबर 1969 को मेजर ध्यानचंद ने दिल्ली में अपनी आखरी सांस ली।

झांसी में बना मेजर ध्यानचंद की याद में म्यूजियम

झांसी में मेजर ध्यानचंद की याद में एक म्यूजियम बनाया गया है जिसका उद्घाटन मंगलवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है। मेजर ध्यानचंद को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग एक बार फिर से बुलंद हो रही है।