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Mathuradhish Temple : 400 साल से इस मंदिर में भगवान रातभर खेलते हैं चौपड़!

 
Mathuradhish Temple : 400 साल से इस मंदिर में भगवान रातभर खेलते हैं चौपड़!
Viral News : भारत देश को नदियों और मंदिरों का देश कहा जाता है। मंदिरों में हर रोज सुबह शाम पूजा की जाती है और हजारों लोग पूजा करने के लिए हर रोज जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें बताया जा रहा है कि भगवान रातभद चौपड़ खेलते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में। Dainik Haryana News,Mathuradhish Temple News(New Delhi): आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें भगवान रातभर चौपड़ खेलते हैं। दीपावली का त्योहार आने वाला है जो काफी विशेष त्योहार भारत में माना जाता है। भगवान मथुराधीश मंदिर में पूरा भगवान चौपड़ खेलते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि यह प्रथा सालों से चली आ रही है। इस मंदिर में मथुराधीश ठाकुर जी के लिए बाकायदा चौपड़ की बिसात बिछाई जाती है। वहां पर भगवान राधा रानी, ग्वाल वाले और माता लक्ष्मी के साथ चौपड़ का खेल खेलते हैं। इस मंदिर की लीलाएं खूब प्रसिद्ध है, इस मंदिर में दीपावली की रात लोग चौपड़ का खेल देखने के लिए शाम को ही इक्ट्ठे होने लगते हैं। READ ALSO :Cyber Crime News: अगर आप भी हो जाएं साइबर क्राइम का शिकार तो तुरंत करें ये काम, पैसे होंगे वापस खेल शुरू होने से पहले ही मंदिर जयकारों से गुजने लगता है। मंदिर के महंत नंनद श्रोतिय का कहना है कि बहुत सालों से यह परंपरा इस मंदिर में चली आ रही है। दीपावली के पावन त्योहार पर सुबह यहां 6 बजे आरती होती है, उसके बाद साढे 6 बजे श्रंगार आरती, 11 बजे राज भो लगाया जाता है, जिसे मंदिर में ही बनाया जाता है। शाम 5 बजे मंदिर में उद्यापन दर्शन भोग के बाद मंदिर परिसर में ही भगवान द्वारकाधीश के सामने चौपड़ की बिसात को बिछााया जाता है।

पूरी रात खेली जाती है चौपड़ :

READ MORE :Hummingbirds Can Fly Backwards : दुनिया का एकमात्र ऐसा पक्षी जो उड़ता है पीछे की और से इस मंदिर में चौपड़ का खेल खेला जाता है। सैंकड़ों साल से इस मंदिर में चौपड़ खेला जाता है। पूरी रात भगवान चौपड़ खेलते हैं। रात को 10 बजे मंदिर के पट को बंद कर दिया जाता है। ठाकुर जी को शयन नहीं कराया जाता है। दीपावली वाले दिन ठाकुर जी महाराज पूरी रात जाकर अपनी अर्धांगिनियों के साथ चौपड़ का खेल खेलते हैं. दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की मंदिर परिसर में तैयारी की जाती है। पूरी साल में सह एक ही बार होता है और दीपावली के दिन भगवान चौपड़ खेलते हैं।