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Moon Mystery: आखिर कैसे हुई चांद की उत्पत्ति

 
Moon Mystery: आखिर कैसे हुई चांद की उत्पत्ति
Moon Dark Side: चांद पर जाने वाला पहला वयक्ति 20 जुलाई 1969 को निल आर्म स्ट्रोंग थे। इसके बाद अमेरिका, चीन और रूस ने अपने चंद्रयान भेजे। चंद्रयान 3 के सफलता पाते ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। आखिर क्यों सभी देश चांद के बारे में जानने पर लगे हैं। अब तक क्या जानकारी मिली है।तो चलिए शुरू करते हैं। Dainik Haryana News: #How did the Moon Originate(ब्यूरो): चांद का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। चांद का ना ही कोई वायुमंडल और गुरुत्वाकर्षण बल होता है। यदि चांद किसी को भेजा जाए, यानि वयक्ति तो उसका वजन धरती की वजाहे कम हो जाएगा।

आखिर कैसे हुई चांद की उत्पत्ति

ऐसा बताया जाता है कि आज से साढ़े 4 हजार अरब साल पहले जब तक तो धरती भी अपने निर्माण की प्रकिया से गुजर रही थी, उसी समय थिया नाम का एक विशाल ग्रह पृथ्वी से टकराया। Read Also: DA Hike : इस राज्य ने इतना बढ़ा दिया महंगाई भत्ता, अगले महीने से मिलेगी इतनी सैलरी थे ग्रह 15 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से धरती से टकराया। बहुत से टुकड़े वायुमंडल में फैल गए। इसके बाद धीरे-धीरे ये टुकड़े ग्रेविटेसनल फोर्स की वजह से जुडने लगे, आगे चलकर यही पिंड चांद बन गए। चांद स्पेस का पांचवा सबसे बड़ा सेटेलाइट है। चांद का क्षेत्रफल साऊथ अफ्रीका जितना है। इस हिसाब से हमारी धरती में ऐसे 9 चांद समा सकते हैं। ऐसा बताया जाता है कि चांद दिखने में भले ही गोल हो लेकिन ये अंडाकर है। चांद का अपना कोई वायुमंडल नहीं है, जिसकी वजह से इसके दिन का तापमान 180° और रात का तापमान -153° तक रहता है। चांद अपने अंदर बहुत से रहस्य सिमेटे हुए है, इनमें से एक है चांद का डार्क साइड। Read Also: Chandrayaan 3: चंद्रयान 3 रचने वाला है इतिहास

क्या है चांद का डार्क साइड

चांद का वो हिस्सा जो धरती से दिखाई नहीं देता। इस Far Side भी कहा जाता है। चांद का एक हिस्सा दिखाई देने की वजह है इसका घुर्णन गति। सन 1959 में पहली बार वैजानिकों ने चांद के डार्क साइड की फोटो देखी, तो वो चोंक गए। चांद की ये फोटो उसके दुसरे हिस्से से बिलकुल अलग थी। यहाँ पर बड़े-बड़े गड्ढे थे और यहां की सतह का रंग भी लाल था। हैरानी की बात यह थी के कहं से भी लावा बाहर नहीं आ रहा था। यानि अंदर का लावा बाहर नहीं आने पा रहा था। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका कारण था यहां की जमीन की मोटाई जो काफी ज्यादा थी। ऐसा माना जाता है कि जब थिया धरती से टकराया था तो दो चांद का निर्माण हुआ था। Read Also: Latest Update: कुदरत का चमत्कार यमुना नदी का पानी तट पर स्थित गुरूद्वारा साहिब में नहीं करता है प्रवेश समय के साथ ये दोनों चांद एक दुसरे के नजदीक आते चले गए और एक छोटा चांद दूसरे बड़े चांद से जुड़ गया और इसी वजह से डार्क साइड की मोटाई इतनी ज्यादा है। इसलिए माना जाता है कि यहां तापमान काफी कम होने की वजह से बर्फ मिलने की संभावना है। भारत का चंद्रयान 2 भी यहीं उतरने वाला था, लेकिन किसी साफ्टवेयर कमी की वजह से क्रैस हो गया था। अब भारत का चंद्रयान 3 भी इसी जगह के लिए निकल चुका है। भारत चांद के डार्क साइड के रहस्यों को जानने के लिए उत्सुक है, इसलिए बार-बार यहीं उतरने की कोशिश करने में लगा है।