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MRF Success Story: सड़क पर गुबारे बेचने से लेकर MRF बनाने तक का सफर ऐसे तय किया मैम्मेन ने

 
MRF Success Story: सड़क पर गुबारे बेचने से लेकर MRF बनाने तक का सफर ऐसे तय किया मैम्मेन ने
MRF Tire Success Story: एक ऐसा वयक्ति जिसने गुब्बारे बेचने से लेकर काम शुरू किया और आज MRF उन ऊंचाइयों पर है जिसका एक शेयर 1 लाख रूपये से ऊपर जा चुका है। लेकिन बड़ा ही फिल्मी रहा है MRF को बनाने वाले का ये सफर, आप इस बारे में जानना नहीं चाहेंगे कि कैसा रहा होगा MRF का ये सफर। Dainik Haryana News: KM Mammen Mappillai(नई दिल्ली): MRF टायर आज कल उन ऊंचाइयों पर है जिसका आप अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि MRF के एक शेयर की कीमत आज 1 लाख 9 हजार का है। बड़ा ही जबरदस्त रहा है इसको यहां तक पहुंचाने वाले मैम्मेन का सफर। केएम मैम्मेन मप्पिलाई का जन्म 1946 में केरल के एक गरीब परिवार में हुआ था। केएम मैम्मेन मप्पिलाई 10 भाई बहन थे। केएम मैम्मेन मप्पिलाई एक समय था जब वो गली गली गुब्बारे बेचने का काम करते थे। साल 1952 में उनकी जिंदगी का वो मोड़ आया जिसने उनकी सारी जिंदगी बदल दी। केएम मैम्मेन मप्पिलाई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी एक टायर बनाने वाले प्लांट को रबर की सप्लाई कर रहा है। Read Also: Success Life : आप पैसों को बचा सकते है ये तरीके फॉलो करके बस यहीं से शुरू हुआ था MRF का सफर जब केएम मैम्मेन मप्पिलाई के मन में ये बात आई कि भारत में ही ट्रेड रबर क्यों नहीं बनाया जा सकता। इसी के चलते केएम मैम्मेन मप्पिलाई ने भारत की पहली टायर बनाने वाली कंपनी की शुरूआत अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर कर दी। भारत में ऐसी कोई कंपनी नहीं थी बस विदेशी कंपनी से उनका कंपीटिशन था। देखते ही देखते केएम मैम्मेन मप्पिलाई की MRF ने बड़ी तरक्की करते हुए बाजार में 50% की हिस्सेदारी पा ली। साल 1961 में MRF ने टायर बनाने भी शुरू कर दिए। इसके बाद MRF ने मुड़कर नही देखा और पहली बार 1967 में MRF ने US को अपना टायर भेजा। MRF पहली ऐसी कंपनी बनी जिसने US को टायर भेजा। Read Also: Ram Mandir: राम मंदिर को बनाया गया है भूकंप रोधी, भूकंप आने से पहले ही मिलेगा अर्लट देखते ही देखते MRF लोगों का भरोसा जीतती चली गई। आज MRF 46341 करोड़ के मार्केट कैप वाली कंपनी है। ऐसा रहा केएम मैम्मेन मप्पिलाई के गुब्बारे बेचने से MRF के बनाने तक का सफर