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Reliance Jio : रिलायंस जियो के 7 साल और 7 इंपेक्ट

 
Reliance Jio : रिलायंस जियो के 7 साल और 7 इंपेक्ट
Reliance Jio Update : पिछले 7 सालों में जियो ने देश में बहुत कुछ बदल दिया है। इसका सीधा असर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ा है। आईये देखते हैं जियो के 7 इंपेक्ट। जियो के नेटवर्क पर प्रतिमाह अब 1,100 करोड़ जीबी डेटा की खपत होती है। जियो ग्राहक औसतन 25 जीबी डेटा प्रतिमाह इस्तेमाल करता है। जो इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा है। Dainik Haryana News,7 years and 7 impacts of Reliance Jio : सात साल पहले जब रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी ने जियो के लॉन्च की घोषणा की थी तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक दिन रिलायंस जियो देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्टर की रीढ़ बन जाएगा। पिछले 7 सालों में जियो ने देश में बहुत कुछ बदल दिया है। इसका सीधा असर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ा है। आईये देखते हैं जियो के 7 इंपेक्ट।

फ्री आउटगोइंग कॉल :

5 सितंबर 2016 को अपने लॉन्च के पहले ही दिन रिलायंस जियो ने देश में मंहगी आउटगोइंग कॉलिंग का युग समाप्त कर दिया। भारत में रिलायंस जियो पहली कंपनी बनी, जिसने आउटगोइंग कॉल को फ्री कर दिया। जो आज तक जारी है। READ ALSO :Car Company : इस साल 5 SUV लॉन्च करने जा रही होंडा

कम हुआ डेटा और मोबाइल का बिल

दूसरा जबर्दस्त असर पड़ा मोबाइल डेटा की कीमतों पर, जियो के आने से पहले डेटा करीब 255 रू प्रति जीबी की दर से उपलब्ध था। जियो ने बेहद आक्रमक तरीके से डेटा की कीमतें घटा दीं और डेटा 10 रू प्रति जीबी से कम कीमत पर मिलने लगा। फ्री कॉलिंग और डेटा कीमतें कम होने से मोबाइल का बिल काफी कम हो गया। डेटा खपत में देश हुआ अव्वल-डेटा की कीमतें कम होने का सीधा असर डेटा की खपत पर पड़ा। जियो के आने से पहले भारत डेटा खपत के मामले में दुनिया में 155 वें नंबर पर था। और आज भारत पहले दो में शामिल है। जियो के नेटवर्क पर प्रतिमाह अब 1,100 करोड़ जीबी डेटा की खपत होती है। जियो ग्राहक औसतन 25 जीबी डेटा प्रतिमाह इस्तेमाल करता है। जो इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा है।

 मोबइल की छोटी स्क्रीन में पूरी दुकान 

जियो की वजह से डेटा सस्ता हुआ तो मोबाइल पर ही दुनिया सिमट आई। एंटरटेनमेंट के लिए अब समय निकालने की जरूरत खत्म हुई। कहीं भी, कभी भी मनोरंजन एक क्लिक में मिलने लगा। रेल हो, हवाई जहाज हो या सिनेमा सबकी टिकट ऑनलाइन बुक होने लगी। होटल बुकिंग और फूड साइट्स व ऐप्स पर बूम देखने को मिलने लगा। टूरिज्म में बहार आ गई। ई-कॉमर्स कंपनियों ने पूरी दुकान ही मोबाइल में समेट दी। ऑनलाइन क्लास और ऑफिस- कोविड का वो बुरा दौर तो सबको याद ही होगा। शिक्षा और ऑफिस घर से ही चलने लगे थे। घंटों इंटरनेट का इस्तेमाल होता था। वजह एक ही थी किफायती कीमतों पर डेटा की उपलब्धता। कल्पना कीजिए अगर डेटा के रेट जियो लॉन्च से पहले वाले होते यानी 255 रू जीबी तो क्या हाल होता।

डिजिटल पेमेंट खत्म हुई खुले पैसे की किच किच

भारत सरकार के यूपीआई ओपन डिजिटल पेमेंट सिस्टम ने सबकुछ बदल कर रख दिया। छोटे बड़े बैंक, पेटीएम और फोनपे जैसी वॉलेट कंपनियों समेत फाइनेंशियल क्षेत्र के दिग्गज इस पहल से जुड़ गए। मकसद था हर मोबाइल में पेमेंट सिस्टम की मार्फत पैसे का लेनदेन। आज रेहड़ी पटरी से लेकर 5 स्टार होटल तक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। जियो समेत सभी दूरसंचार कंपनियों का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्टर इसमें काम आया। परंतु यूपीआई की सफलता का श्रेय, बहुत हद तक डेटा की कम कीमतों को जाता है, जिसने आम भारतीय को डिजिटल पेमेंट सिस्टम यूज करने का हौंसला दिया। जियो के लॉन्च के साथ ही डेटा रेट्स 25 गुना कम हो गए थे। READ MORE :Janmashtami: 6 और 7 सितंबर जन्माष्टमी को भूलकर भी ना करें यह काम

2जी से 4जी की ओर

अपने लॉन्च के अगले ही साल यानी 2017 में कंपनी ने जियोफोन बाजार में उतारा। मकसद था 2जी ग्राहकों को 4जी में शिफ्ट करना। ताकी वे भी डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा बन सकें। जियोफोन के 13 करोड़ से अधिक मोबाइल बिके। यह किसी भी एक देश में किसी एक मॉडल के बिकने वाले सबसे अधिक मोबाइल थे। इसकी अगली कड़ी में कंपनी ने जियोभारत प्लेटफॉर्म लॉन्च कर 2जी ग्राहकों को 4जी में खींचने की मुहिम तेज कर दी है। जियो के साथ कॉर्बन नाम की कंपनी ‘भारत’ नाम से 4जी फीचर फोन बना रही है। जल्द ही कुछ और कंपनियों के भी इस मुहिम से जुड़ने की उम्मीद है।

 डिजिटल डिवाइड हुआ कम

पहले केवल अमीर ही डेटा का इस्तेमाल कर सकते थे, वजह थी मंहगी डेटा कीमतें। जियो ने अमीर-गरीब की इस खाई को पाट दिया। अब हर कोई आसानी से डेटा इस्तेमाल कर सकता है। 4जी शहरों से निकल कर गांव तक पहुंचा। जिसका असर यह पड़ा कि अब गांव वालों को भी शहरी व्यक्तियों की तरह हर डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध हैं। जन-धन खातों को ऑपरेट करना हो, सरकारी योजनाओं में रजिस्ट्रेशन हो या ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर खरीददारी, अब हर तरह का डिजिटल काम गांव में बैठ कर भी आसानी से किया जा सकता है।

यूनीकॉर्न की बाढ़

1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप्स को यूनीकॉर्न कहते हैं। जियो के आने से पहले देश में मात्र 4-5 यूनीकॉर्न थे जो अब बढ़कर 108 यूनीकॉर्न हो गए हैं। इनमें से अधिकतर डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा हैं, जिसकी रीढ़ रिलायंस जियो है। आज भारतीय यूनीकॉर्न का कुल मूल्यांकन 28 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। जोमैटो के फाउंडर, दिपेंद्र गोयल हो या नेटफ्लिक्स के सीईओ रीड हेस्टिंग्स, सभी भारत में अपनी तरक्की के लिए, जियो के योगदान की खुलकर तारीफ करते हैं। भारतीय अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे हैं कि भारतीय डिजिटल इकोनॉमी जल्द ही 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छू लेगी।

भविष्य का रोडमैप यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 

हाल ही में मुकेश अंबानी ने सभी भारतीयों को जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मुहैया कराने का वायदा किया है। अंबानी का मानना है कि डेटा की तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी हर भारतीय का हक है। इस तकनीक ने अपनी अहमियत की झलक दिखानी भी शुरु कर दी है। उम्मीद है कि 5जी की रफ्तार पर सवार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आम भारतीय के भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाएगी।