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Surya Grahan : भारत में इस किस समय लगेगा सूर्य ग्रहण? इन बातों का रखें ध्यान

 
Surya Grahan : भारत में इस किस समय लगेगा सूर्य ग्रहण? इन बातों का रखें ध्यान
Surya Grahan Time : साल में बहुत से सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं। ऐसे ही आज भी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण के समय में कुछ बातों का ध्यान रखना होता है जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। आइए खबर में जानते हैं किस समय लगने वाला है सूर्य ग्रहण। Dainik Haryana News,Surya Grahan Time In India(चंडीगढ़): धर्म में ग्रहण लगने के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं करना होता है। ऐसी धर्म में मान्यता है कि ग्रहण को अशुभ माना जाता है। ऐसे में सभी राशि वाले जातकों पर इसका गहरा असर देखने को मिलता है। इस साल 4 ग्रहण हैं जो 14 अक्टूबर तक लग रहे हैं। आज का ग्रहण आखिरी माना जाएगा। अभी तक जो तीन ग्रहण लगे हैं वो भारत में नजर नहीं आए हैं। READ ALSO :Jokes in Hindi: हंसने का कोई समय नहीं होता

एक महीने में लग रहे दो ग्रहण:

आज 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने के बाद 28 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण भी लगेगा. इस तरह एक ही महीने में दो ग्रहण का लगना अच्छा नहीं माना जा रहा है। सूर्य ग्रहण शनिवार अश्विन अमावस्या पर भारत में रात 8 बजकर 34 मिनट पर लगने वाला है। समापन रात 2 बजकर 25 मिनट पर होगा. यह सूर्य ग्रहण कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण होगा. यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा और आज सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका का किनारा, अटलांटिक और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण का सूतक काल :

इस सूर्य ग्रहण को हम भारत में नहीं देख सकते हैं। इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। आज सर्व अमावस्या के श्राद्ध तर्पण आदि अनुरूठानों पर सूर्य ग्रहण के कारण कोई रुकावट नहीं आएगी. हालांकि इस सूर्य ग्रहण का राशियों पर असर पड़ सकता है। READ MORE :Morning Good Habits:सफलता पाना चाहते हैं तो ऐसे करें सुबह की शुरूआत, टाटा से लेकर बाटा अंबानी तक करते हैं इसे फालो

जानें कब लगता है सूर्य ग्रहण?

जब चंद्रमा सूर्य और पूथ्वी के बीच में आते हैं तो उसकी छाया पड़ती है तब चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से ढक लेता है। इसे ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। कंकणाकृति सूर्य ग्रहण मिला जुला सूर्य ग्रहण ही माना जाता है। जिसमें ग्रहण एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में शुरू होता है फिर धीरे-धीरे यह पूर्ण सूर्य ग्रहण में बदल जाता है और फिर वापस आकर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में बदल जाता है।