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Vastu Tips For Marrige:बुधवार के दिन क्यों नहीं करनी चाहिए बेटी की विदाई?
 

Wednesday Katha:आप सबने अपने बड़े बूढ़ो से सुना होगा की बुधवार के दिन बेटी की विदाई नहीं करनी चाहिए आज हम आप को इसके पिछे का कारण बताएंगे। बुध ग्रह बुद्धि के प्रदाता होते हैं  बुध ग्रह को बनुकूल बनाने और सर्व सुखों  की प्राप्ति के लिए बुधवार का व्रत किया जाता है। सफेद फूलों और सफेद चंदन से बुध भगवान की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी खबर।
 
Vastu Tips For Marrige:बुधवार के दिन क्यों नहीं करनी चाहिए बेटी की विदाई?

Dainik Haryana News, Vastu Tips(New Delhi):बुध ग्रह बुद्धि के प्रदाता होते हैं  बुध ग्रह को बनुकूल बनाने और सर्व सुखों  की प्राप्ति के लिए बुधवार का व्रत किया जाता है। सफेद फूलों और सफेद चंदन से बुध भगवान की पूजा की जाती है। इस व्रत में हरी वस्तुओ का प्रयोग करना श्रष्ठ रहता है। व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धूप दीप बेल पत्र आदि से की जाती है। इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने के बाद में प्रसाद लेकर ही उठा जाता है।

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इस प्रकार है व्रत की काल में एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा  कराने ससुराल में गया और कुछ दिन वहो पर रहने के बाद में उसने अपने सास ससुर से पत्नी को बुधवार को विदा कराने के लिए कहा। सास ससुर और अन्या संबंधियों ने बुधवार हाने के कारण से मना किया कि इस दिन बेटी को मायके से विदा नहीं किया जाता है। वह जिद कर अपनी पत्नी को विदा कराके अपने शहर की और चला।

रास्ते में उसकी पत्नी को बहुत जोर से प्यास लगी तो वह लोटा लेकर गाड़ी से उतरा और पानी लेने के लिए गया, पानी लेकर लौटा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उसे देखा उसने देखा की उसकी शक्ल सूरत का दूसरा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास में बैठा हुआ है।  उसने क्रोध से उस व्यक्ति से पूछा, तू कौन है और यहां मेरी पत्नी के बगल में क्यों बैठा है. फिर उस व्यक्ति ने जवाब मे उसी से प्रश्न किया कि तू कौन है, यह तो मेरी पत्नी है। इस पर दोनों में लड़ाई होने लगी. तब तक वहां पर राज्य के सिपाही पहुंच गए और उन्होंने उस महिला से ही पूछा कि तुम्हारा पति कौन है किंतु वह भी असमंजस में पड़ गयी।

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उसका मूल पति ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि यह सब क्या हो रहा, तभी आकाशवाणी हुई कि तुमने बुधवार को गमन किया और किसी की बात नहीं मानी इसलिए ऐसा हुआ है। यह सब बुध देव की लीला है। इस पर उस व्यक्ति ने बुध देव से क्षमा मांगी तब वह उसी के रूप में आए बुधदेव अंतर्ध्यान हो गए। वह व्यक्ति अपनी पत्नी को लेकर घर आया और नियम पूर्वक बुधवार का व्रत करने लगा. जो व्यक्ति बुधवार के दिन इस कथा को सुनता और सुनाता है उसे बुधवार के दिन यात्रा करने का दोष नहीं लगता है और सभी प्रकार के  सुखो को प्राप्त होता हैं।