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Sam Sex Marriage: समलैंगिक विवाह अब शहरों तक सीमित नहीं, कोर्ट में पेश दलीलों के बाद अब फैशले का इंतजार!

 
Sam Sex Marriage: समलैंगिक विवाह अब शहरों तक सीमित नहीं, कोर्ट में पेश दलीलों के बाद अब फैशले का इंतजार!
Same Sex Marriage Case in India: समलैंगिक विवाह (Sam Sex Marriage)को लेकर कई महीनों से कोर्ट में मामला चल रहा है। इसको लेकर अप्रैल महीने से ही तर्क विर्तक चल रहा है। Dainik Haryana News: Supreme Court Same Sex Marriage Case(नई दिल्ली):  एक बार फिर से समलैंगिक विवाह(Sam Sex Marriage) को लेकर कोर्ट में दलीलें पेया की गई। पक्ष और विपक्ष की दलीलें सुनने के बाद से अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। इंडिया में समलैंगिक विवाह को लेकर मान्यता देने को लेकर याचिका दायर की गई है तो केंद्र सरकार ने इस पर अपना अलग पक्ष रखा है। समलैंगिक विवाह(Sam Sex Marriage) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 18 अप्रैल 2023 से सुनवाई होना शुरू की गई थी, इसके बाद से फैसले को सुरक्षित रखा गया था। समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज करते हुए इसे मान्यता देने की अपील की गई है तो दुसरी और केंद्र सरकार ने इसको विरोध करते हुए प्राकृ तिक वयवस्था का हवाला दिया गया है। Read Also: Haryana New Project : हरियाणा में 60 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी समलैंगिक विवाह पर दोनों ही पक्षों के तर्क

समलैंगिक विवाह के समर्थन में

1.संवैधानिक वयवस्था से नहीं जुड़ा है केस, 2. मौलिक बधिकारों से जुड़ा है केस, 3. शहरी सोच का नतीजा नहीं है, 4. कानूनी दायरे से बाहर हैं बच्चे,

केंद्र सरकार का विरोध

1.समलैंगिक विवाह(Sam Sex Marriage) को मंजुरी से अलग अलग किस्म के दावों की होगी मांग, 2. इस गंभीर विष्य पर सरकार कमेटी बनाने का तैयार, 3. अलग अलग धर्मों में इसकी इजाजत नहीं, 4. समलैंगिक जोड़ों का बच्चे के गोद लेने पर एतराज, 5. समाज पर इसका असर पड़ेगा यह एक जटिल समस्या है। Read Also: Meerut Blast News: साबुन बनाने वाली फैक्टरी में बड़ा धमाका, 4 की मौत कई घायल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि समलैंगिक विवाह(Sam Sex Marriage) को लेकर 34 देशों में मंजुरी मिली हुई है। भारत में इस पर अभी बहस चल रही है। कोर्ट ने भी इस पर अपना तर्क देते हुए कहा है कि भले ही सरकार इस पर ध्यान ना दे रही हो, परंतु कुछ ना कुछ स्तर तो देना ही पडेगा। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। शादी को मान्यता ना मिलने पर इन जोड़ों का स्किम का लाभ मिलेगा। कोर्ट का कहना है कि समलैंगिक रिश्ते में भी एक पार्टनर बच्चे को गोद लेने पर रोक नहीं है, लेकिन अगर बच्चा स्कूल जाता है तो क्या एक पार्टनर को सिंगल पैंरेट चाइल्ड के रूप में मान्यता नहीं दी सकती। सुप्रीम कोर्ट मे पक्ष और विपक्ष की दलीलों के बाद एक बार फिर से मामले के फैसले को पेंडिग रखा गया है। दलीलों के बाद अब कोर्ट के फैसले का इंतजार है।